Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 155
________________ विशेष क्र. नाम. 24. जयदेवसूरि 25. देवानंदसूरि 26. विक्रमसूरि 27. नरसिंहसूरि 28. समुद्रसूरि 29. मानदेवसूरि 30. विबुधदेवसूरि 31. जयानंदसूरि 32. रविप्रभसूरि 33. यशोभद्रसूरि 34. विमलचंद्रसूरि 35. देवसूरि 36. नेमिचंद्रसूरि 37. उद्योतनसूरि 38. वर्धमानसूरि 39. जिनेश्वरसूरि 40. जिनचंद्रसूरि सुविहित पक्ष चालू 84 गच्छ स्थापनकर्ता धरणेन्द्र की आराधना कर सूरिमंत्र शुद्ध करवाया खरतर विरुद धारक वि.सं. 1125 में संवेगरंग शाला की रचना की। हर चौथे पाट पर जिनचंद्रसूरि रखने का पद्मावतिदेवी ने कहा। नवांगटीकाकार, स्थंभन पार्श्वनाथ को प्रगट किया संघ पट्टक रचना, 10 बागड़ियों को प्रतिबोध, खरतर मधुकर शाखा प्रारंभ हुई। प्रथमदादा-विक्रमसंवत् 1204 जिन शेखराचार्य से रुद्रपल्ली खरतर शाखा निकली द्वितीय दाता-मस्तक में मणि 41. अभयदेवसूरि 42. जिनवल्लभसूरि 43. युगप्रधान जिनदत्तसूरि 44. मणिधारी जिनचंद्रसूरि 45. जिनपति सूरि 46. जिनेश्वरसूरि वि. सं. 1280 आपके समय लघुखरतर शाखा निकली। / इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /155 )

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