Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran
View full book text ________________ 6. भावहर्ष गच्छ के लेख: (2194) चन्द्रप्रभः ।।सं. 1910 शाके 1775 मासोत्तममासे माघमासे शुक्लपक्षे 5 तिथौ गुरुवारे श्रीपालीनगरे अंजनशलाका कृतं। समस्तसंघसंयुतेन स्वश्रेयसे श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्रबिंब कारित। प्रतिष्ठित।। श्रीजिनपद्मसूरिभिः खरतरश्रीभावहर्षगच्छे। श्रीमद्वीरमपुरनगरे जिनालय स्थापित।। 7. पिप्पलक गच्छ का लेख (1949) पञ्चतीर्थीः ।।सं. 1893 माघशित 10 बु। से.। मोतीचंद तेन श्रीपञ्चतीर्थी कारितं खरतरपीप्पलीयगच्छे भ। श्रीजिनचंद्रसूरिभिः विद्या प्रति खरतरगच्छे भ।। श्री जिनमहेन्द्रसूरिभिः। 8. जिनरंगशाखा का लेखः (937) पादुकायुग्मः सं. 1780 मा. वर्षे सिते 12 / / बृहत्खरतरगच्छे यु. भ. श्रीजिनरङ्गसूरिशाखायां. शि. चरणरेणुना दीपविजयायाः स्थापिते। श्रीकीर्त्तिविजयायां...... चरणसरसीरुहे प्रतिष्ठित।। साध्वी।। श्रीसौभाग्यविजयाया। पादपद्म प्रतिष्ठितं। 9. मधुकर गच्छ के लेख ___ (937) शीतलनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् 1547 वर्षे माघ सुदि 13 रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय शिया भार्या हेली सुत दो. धाइंयाकेन भा. सलखू सु. दो दासां राणा कर्ण सा गांगा पौत्र कमलसीह भा. पोता डाहिया प्र. कुटुम्बयुतेन प्र. श्रीमधुकरीयखरतर श्रीमुनिप्रभसूरिभिः।। श्री शीतलबिंब कारित। ___ (1092) नमिनाथ-पञ्चती H सं. 1585 वर्ष माघ सुदि 1 शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय सं. वइरसी भा. लष्मादे सु. वानर भा. मेठू सु. गहगाकेन पितृ-मातृ-आत्मश्रेयसे श्रीनमिनाथबिंब का प्र. श्रीमधुकरगच्छे भ. श्रीधनप्रभसूरिभिः।। पाररीवा.।। यहाँ पर खरतर शब्द का वैकल्पिक प्रयोग पाया जाता है। इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /143
Loading... Page Navigation 1 ... 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177