Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 127
________________ श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च शा. मोहणप्रमुखपुत्रैर्निजमातुः पदमलश्राविकायाः श्रेयोर्थम्।। 31) श्रेयांसनाथ-परिकरलेखः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्री श्रेयांसबिंब देवकुलिका च श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं / / शा. तिहुणसिंह सुत भीमसिंह............ आत्मश्रेयोर्थं। 32) शान्तिनाथ-परिकरलेखः / संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5, श्रीशांतिनाथदेवबिंबं श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं गौर्जर ज्ञातीय ठ. श्रीभीमसिंह बृहत्भ्रातृश्रेयोर्थं ठकुर श्रीउदयदेवेन प्रतिपन्नसारेण सुविचारेण कारित। 33) शान्तिनाथ-परिकरलेखः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्री शांतिनाथबिंबं श्री जिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च उकेशवंशीय शा. सोला पुत्र शा. रत्नसिंहश्रावकेण आत्म-श्रेयोनिमित्तं।। ___34) मल्लिनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्रीमल्लिनाथदेवगृहिका-बिंबं च श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च ऊकेशवंशीय ठ. (?) ऊदाकेन-जनातृ तील्ह (?) श्रेयोर्थं। 35) मुनिसुव्रत-परिकरलेखः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 मुनिसुव्रतस्वामी बिंबं च श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यैः श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं। कारितं च देहड़सुतेन...... पालेन.... विधिचैत्यगोष्ठिकेन स्वश्रेयार्थे शुभम्।। गि. द. लेखांक 121 33. खरतरवसही, समवसरण-3, शत्रुजयः श. गि. द. लेखांक 123; खरतरवसही, शत्रुजय : भँवर. (अप्रका.), लेखांक 83 34. शत्रुजयगिरिना अप्रकट प्रतिमालेखो- मधुसूदन ढांकी एवं लक्ष्मण भोजक-सम्बोधि, वो. 7, नं. 4, वर. (अप्रका.) लेखांक 104 35. देहरी क्रमांक 106, खरतरवसही, शत्रुजय : श. गि. द., लेखांक 120, भँवर. (अप्रका.), लेखांक 72 36. शत्रुजय गिरिना केटलाक अफ्रकट प्रतिमा लेखो-मधुसूदन ढांकी और लक्ष्मण भोजनक सम्बोधि, वो. 7, नं. 4 भँवर. (अप्रका.) लेखांक 102 37. महावीर स्वामी का मंदिर, बीकानेर : ना. बी. लेखांक 1357 38. शांतिनाथ जिनालय, जीरारपाड़ो, खंभात : जै. धा. प्र. ले. सं., भाग-2, लेखांक 734 इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /127

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