Book Title: Itihas Ke Aaine Me Navangi Tikakar Abhaydevsuriji Ka Gaccha
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran
View full book text ________________ 77. पञ्चतीर्थीः सं. 1384 माघ शु. 5 श्रीजिनकुशलसूरिभिः प्रतिष्ठितं च शा. बठेर पालीका ___78. समवशरणं (धातुः) श्रीजिनचंद्रसूरि शिष्य श्रीजिनकुशलसूरिभिः 79) भरतेश्वरमूर्तिः सं. 1391 माघ सुदि 15 श्री पत्तने श्रीशांतिनाथदेवविधिचैत्ये श्रीजिनकुशलसूरिशिष्यैः श्रीजिनपद्मसूरिभिः श्रीभरतेश्वरमूर्ति प्रतिष्ठित कारिता च व्य. घड़सिंह भार्या राणी सुश्राविकया पु........ ____80) बाहुबलिमूर्तिः संवत् 1391 माघ सुदि 15 श्रीपत्तने श्रीशांतिनाथविधि (चैत्य) खरतर श्रीजिनकुशलसूरिभिः श्रीबाहुबलिमूर्ति प्रतिष्ठितं च कारितं व्य. ........... सिंह पुत्रैः जा। 81) पार्श्वनाथ-पञ्चतीर्थीः सं. 1391 मा. सु. 15 खरतरगच्छीय श्रीजिनकुशलसूरिशिष्यैः श्री जिनपद्मसूरिभिः श्रीपार्श्वनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठिता कारिता च मव. बाहि सुतेन रत्नसिंहेन पुत्र आल्हादि परिवृतेन स्वपितृव्य सर्व पितृव्य पुण्यार्थं। ___82) पट्टिकालेखः श्रीमुनिसुव्रतजिनः / खरतर जाल्हपुत्र तेजाकेन श्रीपुत्री वीरी श्रे. कारित।। 83) वाचक-हेमप्रभमूर्तिः वा. हेमप्रभमूर्ति 78. हाला मंदिर, ब्यावर: भंवर. (अप्रका.) क्रमांक 2 79. वल्लभ विहार, शत्रुजयः भँवर. (अप्रका.) लेखांक 53 80. रायणवृक्ष के पास, देहरी में, वल्लभ विहार, शत्रुजयः भँवर., लेखांक 52 81. पार्श्वनाथ मंदिर, करेड़ाः पू. जै. भाग-2, लेखांक 1926 82. विमलवसही, आबूः प्रा. जै.ले.सं. भाग2, लेखांक 181; अ. प्रा. जै. ले. सं., भाग 2, लेखांक 113 83. वल्लभ-विहार, शत्रुजयः भँवर. (अप्रका), लेखांक 54;1 (इन्हें 1336 वै. व. 7 को वाचनाचार्य पद मिला था) ( इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /136 )
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