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સંતો-મહાનુભાવોના
શભેચ્છા-સંદેશ
आचार्य श्री वर्धमानसागरजी
__ भारत देश के गुजरात प्रान्त में औद्योगिक महानगर अहमदाबाद के निकट प्रशान्त वातावरण पूरित 'कोबा' आश्रमस्थित है । आश्रम शब्द का अर्थ है 'जहाँ सभी ओर से अर्थात् मन-वचन-काय से आत्मशान्ति के लिए पुरुषार्थ-श्रम किया जाता है ।' डॉ. सोनेजीने अपनी चिकित्सकीय ‘प्रेक्टिस' को छोड़कर आत्मशान्ति का मार्ग चुना । स्वयं उस मार्ग पर चले एवं सदाचारमय जीवन के साथ आत्मशान्ति के अभिलाषी जनों के लिए निमित्त बने । सोनेजी 'आत्मानंदजी' इस नाम से सम्बोधित होकर 'कोबा आश्रम के पर्याय बन गये । देश-विदेश में आश्रम के साधकजन विद्यमान हैं।
सन १९९२ में सहसंघ गिरनार यात्रा के प्रसंग में कोबा आश्रम में रात्रिविश्राम हआ । बस वही प्रथम परिचय लगभग स्थायी बन गया । दो प्रवचन भी हुए । तत्पश्चात् तारंगा सिद्धक्षेत्र पर आश्रम के साधकजनों का त्रिदिवसीय प्रवास हमारे वर्षायोग में रहा । शतावधानी श्रीमद् राजचंद्रजी के आध्यात्मिक विचारों से ओतप्रोत आश्रम में अध्यात्मग्रंथो का प्रधानतया स्वाध्याय-मनन-चिन्तन श्री आत्मानंदजी के सत सान्निध्य में निरन्तर चलता है । एक क्रमबद्ध दिन-चर्या से आबद्ध साधक श्रावकजन यहाँ साधना निरत रहते हैं । ___आत्मानंदजी ने चिकित्सकीय प्रेक्टिस छोड़कर जिस आत्मशान्ति का मार्ग चुना है वे अपने मार्ग में निरंतर प्रगति करें और फिर आत्मानंदरूप सिद्ध पर्याय को प्राप्त कर सदा आत्मानंदमय बनें क्रमश: । इसी मंगल भावना के साथ हमारे पावन आशीर्वाद ।
आचार्यश्री पद्मसागरसूरिजी म.सा. (कोबा)
___ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्वामीश्री आत्मानंदजी की जीवनी प्रकाशित होने जा रही है। स्वामीजी के त्यागमय-साधनामय जीवन से अनेक लोगों को, इससे सत्प्रेरणा मिलेगी ऐसी मैं आशा रखता हूँ । स्वामीजी की सरलता, सौजन्यता और उनके मिलनसार स्वभाव आदि गुण प्रशंसनीय है । जो अध्यात्मकल्याण के रसिये हैं, वे उनके जीवन से बहुत कुछ ग्रहण करने योग्य हैं । मेरी शुभ कामना है कि यह चरित्र प्रकाशन लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा।
पू. मुनिश्री तरुणसागरजी (बॅग्लोर)
भगवान महावीर के द्वारा प्रतिपादित तत्त्वज्ञान और जीवन का यथार्थ दर्शन, खास तौरसे गुजरात में, श्रीमद् राजचंद्रजी के माध्यम से लोगों तक पहुँचा । उस ज्ञानके बल पर महात्मा गांधीजी ने भगवान महावीर के
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સંતોના શુભેરછા-સંદેશ સંતોના શુભેરછા-સંદેશ સંતોના શુભેચ્છા-સંદેશ સંતોના શુભેરછા-સંદેશ