________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
गुरुवाणी:
करने के भी वैज्ञानिक तरीके आ गये हैं, बड़ी सफाई आ गई है, उस कवि को कहना पड़ाः
'बिजली की रोशनी में सामान चोरी हो गया'
कवि कहता है अंधियारे में नहीं, रात्रि में नहीं, एकांत में नहीं, बिजली की रोशनी में सामान चोरी हो गया.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
'इंसान तो था लेकिन ईमान चोरी हो गया।'
चौकीदार मौजूद था परन्तु अन्दर से प्रामाणिकता ही चली गई. मगर आप धर्म करते रहें, प्रार्थना करते रहें मगर उसमें प्राण तो है ही नहीं और इसीलिए आज की यह सारी धर्म आराधना और धर्म ही प्राणशून्य बन गया है, स्वादहीन बन गया है, जिसमें किसी प्रकार की अनुभूति आत्मा को होती ही नहीं.
कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित व्यक्ति जापान से आये उनका कारोबार जापान में है तो कई बार बम्बई आना-जाना पड़ता है. वह एक दिन रात्रि में बैठे थे. मैंने उनसे पूछा कि वहां के विषय में आप कुछ जानकारी दीजिए. वहां के लोगों का व्यवहार कैसा है ? उन लोगों का जीवन-व्यवहार किस प्रकार का है? उन्होंने एक परिचय मुझे दिया और मैं चौंक गया. उन्होंने कहा कि महाराज मैं टोकियो के एक होटल में ठहरा था. बाज़ार से नये बड़े सुन्दर जूते लेकर आया तो मैंने नये जूते तो पहन लिए और पुराने जूते होटल में ही छोड़ दिये, मैंने सोचा कि कहां इन्हें बम्बई लेकर वापिस जाऊँ पड़े रहने दो. अब मैं तो वहां से फ्लाइट में सीधे बम्बई आ गया और दूसरे दिन बम्बई पहुंच गया. एक सप्ताह मैं एक पार्सल देखता हूं जो जापान से मेरे पास आया और होटल मैनेजर ने उसके साथ एक पत्र भेजा कि आप हमारे होटल में इस रूम नम्बर में ठहरे थे. आप यहां भूल से अपने जूते छोड़ गये, वे जूते आपको एयर पार्सल से भेज रहा हूं. कृपया इन्हें स्वीकार करें. पार्सल भेजने में दो दिन का विलम्ब हुआ उसके लिए हम क्षमा चाहते हैं.
बाद
दो सौ रुपये. गांठ के खर्च करके, होटल वालों ने, बिना पांव के जूते उनके घर तक पहुंचा दिए. यह आज का इतिहास है भूतकाल की बात नहीं है.
परन्तु यह भारत जहां राम की भूमि कृष्ण की भूमि महावीर ने जहां पर अवतार लिया, ऐसे ऋषि मुनियों की पावन भूमि और राम, कृष्ण या महावीर के मंदिर से ही जूते गायब हो जाते हैं.
अब आप विचार कर लीजिए कि हमारे देश की क्या दुर्दशा है, नैतिक दृष्टि से हमारा कितना घोर पतन हो चुका है और जहां नैतिकता नहीं होगी तो धार्मिकता कहां से आएगी नैतिकता में से ही धार्मिकता जन्म लेती है और इसलिए इसके अन्दर सर्वप्रथम सूत्र के द्वारा गृहस्थ जीवन के प्रथम आचार का परिचय दिया धन, प्रामाणिकता से उपार्जन करना, 'न्यायोपार्जितम् द्रव्यम्'
48
-
For Private And Personal Use Only
da ध