Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 391
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Jan 권리 www.kobatirth.org गुरुवाणी: जाएगा, बिना पसीना उतारे मन में सोचता हूं, यदि यह सन्त जाग गया और मुझे यदि पकड़ लिया तो मुझे फिर से जेल की हवा खानी पड़ेगी. किसी को मालूम ही नही, क्यों नहीं इस साधु का ही खून कर दूं? कहां कौन देखने वाला है फल काटने के लिए जो चाकू रखा था, वही चाकू रसोई से उठाया, सन्त के पास आया. अन्दर की करुणा सन्त के चेहरे से बाहर निकल रही थी, प्रेम और मैत्री से परिपूर्ण वह आत्मा थी, जरा भी दुर्भावना नही. मार्गानुसारी के इतने सुन्दर गुण उसके अन्दर विकसित हो गये थे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वह व्यक्ति आया और जैसे ही उस परिधि में आया, यह प्रेम का प्रभाव चुम्बक जैसा है. तुरन्त हृदय पर उसका असर होता है. चाकू लेकरके मारने आया. विचार में एकदम परिवर्तन आ गया, निर्दोष चेहरा है. इस व्यक्ति ने मेरे आने पर कितना सुन्दर व्यवहार किया. मैं कैसे चाकू चलाऊं, वह चाकू लिए पीछे हट गया. फिर एक बार साहस किया. दूसरी बार कर्म का आक्रमण हुआ कि तू हमला कर, मार डाल. होगा सो देखा जाएगा. काहे को प्यार में कायर बनता है ? ऐसा सुनहरा मौका फिर कभी मिलने वाला नहीं, फिर वह एकदम उत्तेजित हुआ, मारने के लिए आया परन्तु प्रेम का प्रतिकार कैसा, जैसे चेहरे को झांका तो सारे विचार उसके पीछे हट गए. मैंने मैं सोचा, मैं बहुत भयंकर अपराध करने जा रहा हूं. यह परमात्मा का सबसे बड़ा अपराध होगा. यह करुणा से भरा हुआ. मेरे ऊपर इसकी कितनी सुन्दर मैत्री, रात्रि को साढ़े बारह बजे मेरे लिए खाना बनाया. इतनी सुन्दर मेरे लिए सोने की व्यवस्था की, इसको यदि मैं मारता हूं तो मेरा मन साक्षी नहीं देता, मेरी आत्मा साक्षी नहीं देती. वापिस चाकू अन्दर गया, दो, तीन बार उसने प्रयास किया परन्तु मार नहीं पाया. विफल हो गया. सारे दुर्विचार उसके पीछे हट गए. उसका आक्रमण सफल नहीं हो पाया. आखिर निराश होकर उसने सोचा. यहां कौन देखने वाला है? अगर बैग भर कर में ले जाऊं, ये कहां पीछे दौड़ने वाले हैं, चिल्लाने वाले हैं. बिना मारे अगर मुझे साम्रगी मिल जाती है तो मारने की मुझे कोई जरूरत नहीं, लेकर बहुत दूर निकल गया, परन्तु गांव के किनारे चौकीदार ने ललकारा- कौन है ? कहां जाते हो ? रुकना पड़ा, मन में डर था कहीं पीछे से गोली न चला दें, 'क्या है तुम्हारे पास ?, कहां जा रहे हो इतनी रात्रि में ?" " क्या हैं तुम्हारे पास ?" *आश्रम के बर्तन हैं. सच बोलना पड़ा, मजबूरी थी. रेड हैण्ड पकड़ा गया. "ये बर्तन मैं ले जा रहा हूं, चांदी के हैं." 362 For Private And Personal Use Only Mor

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