Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 401
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org: गुरुवाणी एक नवकार मंत्र सुनाने का यह प्रभाव अन्तिम समय उस आत्मा को समाधि दी. मरकर के संयोग ऐसा उन के घर में पुत्र के रूप में हुये. यह घटना बहुत वर्ष पहले ही प्रकाशित हो गई, जब वे बहुत ही छोटे और निर्दोष थे, बालक अवस्था थी. जाति स्मरण ज्ञान डूबा अपने पूर्व भाबुकों को देखा, सारी हकीकत उन्होंने बतलायी ऐसी घटनायें कई बार होती हैं. ये मतिज्ञान का ही एक प्रकार है, आज तो ज्ञानियों ने पैरासाइकोलोजी में इनकी पूरी खोज की. यह सिद्ध हो गया की आत्मा में भी एक प्रकार की शक्ति है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वह तोता जिसकी स्मृति जागृत हुई, साधुओं के आगमन से वासना को लेकर मैं इस स्थिति में आया. पक्षी बना एक दिन सेठ मफतलाल व्याख्यान में जा रहे थे तोते ने कहा- मेरे एक प्रश्न का जवाब लेकर आना. मनुष्य की भाषा तोता कई बार बोल लेता है. पूछा संसार के बन्धन से आत्मा किस प्रकार मुक्त बनती है बड़ा गंभीर, तात्विक प्रश्न था. मफतलाल ने तो ऐसा सोचा ही नहीं था. वे व्याख्यान में गये. वहां व्याख्यान हुआ और जब विदाई का मौका आया. सब चेले गये तब मफतलाल ने महाराज से कहा- बन्धन से आत्मा कैसे बचती है. महाराजा ने कहा- यह तुम्हारा प्रश्न नही हो सकता, जिस व्यक्ति में ऐसा प्रश्न आया उस व्यक्ति का जीवन नहीं होता है. तू सच बतालाओ. ज्ञानी थे. तुरन्त उसकी चोरी पकड़ ली. उसने कहा-महात्मन्! मैंने घर में एक तोता पाल रखा है. उसने मुझसे पूछा और कहागुरु महाराज से मेरे प्रश्न का जवाब लाना कि जीवन बन्ध से मुक्त कैसे होता है. तोते का प्रश्न है. यह कहते ही महाराज बेहोश हो गये, एक दम गिर गये. न श्वास चले न कुछ बोले. मफतलाल डर गया कि मैंने ऐसा क्या गलत काम कर दिया ? यहां कोई व्यक्ति मिलेगा तो क्या कहेगा कि महाराजा को न जाने क्या कर दिया ? बेचारे साधु महाराज बेहोश हो गये. वे मौका देख कर चुपचाप ठहर के दूसरे दरवाजे से निकल गये मौके की ताक में ही थे, बदनामी से तो बच जाएं, तो लोग क्या समझेंगे ? खड़ा रहा तो लोग कहेंगे की सेठ तुम्हारे में इतनी अक्ल नही डाक्टर बुलाना, उपचार करवाना था, कुछ तो करना था, जिससे गांठ का पैसा खर्चना पड़े. दूसरी तकलीफ.. 1 सबसे अच्छा उपाय पीछे के दरवाजे से निकल गये. जाकर अपने तोते से कहा कि तेरा प्रश्न कितना भयंकर है. जैसे ही मैंने महाराज से कहा, महाराज तो बेहोश हो गये. एकदम सो गये, श्वास भी नहीं शरीर का हलचल भी नही कुछ भी नहीं. अब कभी ऐसा गलत प्रश्न करना नहीं. मैं तो अब उपाश्रय जाने वाला ही नही. "न नौ मन तेल हो न राधा नाचे" काहे को जाऊं उपाश्रय क्यों मुश्किल मोल लूं. कल महाराज कोई नया प्रश्न करें. तो मेरी मुश्किल. 372 For Private And Personal Use Only fec

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