Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 399
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra haen www.kobatirth.org गुरुवाणी: उसके हाथ में माला गिन रहा था. परिवार के लोग आंसू निकालकर सामने खड़े थे, मैं भी गया मंगलाचार सुनाया, वन्दन किया पच्छखान किया. कहा- मुझे जब घर से परिवार से कोई सम्बन्ध नहीं, मैं मन से साधु बन चुका हूं, आप मेरा सब कुछ त्याग करवा दीजिए. मैंने उसको पच्छखान दिया, त्याग कराया, जहां तक मुझे जरूरत न हो, वहां तक पानी का भी त्याग, वह भी पच्छखान दिया, उस पच्छखान अवस्था के अन्दर पूर्ण त्यागावस्था में जो व्यक्ति मुझे कान में कहता है मुझसे बोला नही जाता. महाराज मैं मन से साधु बन चुका हूं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उस समय उसका नेत्र परमात्मा की तरफ माला गिन रहा है. आधी माला गिनी और प्राण गए. कैसी मौत हुई, मांगने पर भी न मिले. अच्छे-अच्छे करोड़ - पतियों को न मिले, सारा राज्य भी आप अर्पण करदें तो भी ऐसी मौत नही मिलती, कैसा पुण्यशाली 26 वर्ष की अवस्था थी और प्राण चले गए. न कभी स्त्री की तरफ और न अपने माता-पिता की तरफ देखा. मरने के बाद भी उसका हाथ ऐसे का ऐसे दृष्टि खुली हुई, भगवान की तरफ. ये अट्ठमतप की आराधना बडी मूल्यवान आराधना है, यह मौत को सुधारने की आराधना है, यह मृत्यु को महोत्सव बनाने की अपूर्व कला इस अठ्ठमतप के अन्दर है. पार्श्वनाथ भगवान का जाप चित्त की शान्ति और समाधि देता है ये भूखे मरने की चीज नही है, यह तो भूखा को मारने की दया है. हमेशा के लिए मृत्यु की वेदना से आत्मा का रक्षण हो, अनादि कालीन इस आहार की वासना से मैं मुक्त बनूं इस भावना से यह आराधना कराई जाती है. अपने अन्दर भी यह सावधानी होनी चाहिए. इस सूत्रकार ने कहाः "प्रतिक्षणं क्रियाचेति" इसका अर्थ क्या है. क्रियाओं के अन्दर व्यक्ति को सतत जागृत रहना चाहिए. यह मेरा आचरण, मेरी धर्म क्रिया है. मैं अन्तिम समय तक अपने आचरण को छोड़ने वाला नहीं, यह तो एक प्रकार का आन्तरिक मोमेन्ट है. विचार के अन्दर का एक आंदोलन है. इसमें अगर सफलता मिल गई तो बहुत बड़ी आशा है. यहाँ यदि हम निष्फल हो गए तो आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होगा. पर्युषण तक तो अपना हृदय इतना स्वच्छ और निर्मल बनना चाहिए. ऐसी कोमलता और मधुरता हमारे जीवन में आनी चाहिए. हमारा मिच्छामि दुक्कड़म् हमारे लिए वरदान बन जाए. हमारा एक मिच्छामि दुक्कडम् मोक्ष का द्वार खोलने वाला बन जाए. अन्तर हृदय से निकला हुआ यह यन्त्र मिच्छामि दुक्कडम् जगत के बन्धन से मुझे मुक्त बनाने वाला बन जाए तब तो मैं समझें कि यह मिच्छामि दुक्कड़म् दिया. नही तो • आप नाटक करके चले जाइये. 370 For Private And Personal Use Only

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