Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 402
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: संयोग दो चार दिन बाद तोता ने खाना बन्द कर दिया, तोता ने पानी पीना भी बन्द कर दिया. वह बेचारा कोमल प्राणी, मच्छित हो गया. बेहोश हो गया, एकदम शरीर का हलचल सब बन्द. सेठ ने सोचा यह मर चुका है. मैं अब इसे बाहर छोड़ कर के आ जाऊ. पिंजरा लेकर के गया, जंगल में दूर उस तोते को छोड़ दिया. नवकार सुनाकर वह वापिस मुड़ा तभी तोता उड़ गया. और झाड़पर जाकर बैठ गया, देखकर मफतलाल एकदम आश्चर्य में पड़ गया. तोते ने कहा-मैं तो मुक्त हो गया. महाराज ने उपाय बतलाया, अब संसार के बन्धन से तुम्हें मुक्त होना है, तो मेरे जैसा उपाय कर लेना, इन्द्रियों को सुखा लेना, अपने आप मुक्त हो जाओगे. छोटी सी बात के अन्दर जीवन का बहत बड़ा रहस्य आपको खोल करके रख दिया कि देखो कि भाषा में कितना सुन्दर संदेश भेजा. तुमसे कहा कि छोड़ आओ तो मेरे ममत्व के कारण तुम नहीं छोडते. उन्होनें एक ही उपाय बतलाया कि जिस प्रकार से मैंने किया ऐसे ही तुम भी करो, अपने आप छूट जाएगा. जिस दिन आप इन्द्रियों को सला देंगे, आंख, कान, नाक, सो जाएं, शरीर की समस्त वासना सो जाए, उसी दिन आत्मा कर्म बन्धन से मुक्त बन जाए. इन्द्रियों को सुला दीजिए अपने आप आत्मा जागृत हो जाएगी. मुक्त हो जाएगी. सारी आराधना तप की हो, जप की हो ये सब इन्द्रियों को सुलाने की हैं, इन्द्रियों को सुषुप्त दशा में लाने की मंगल क्रिया है. आत्मा की जागृति से लिए पूर्व भूमिका है. एक बार जागृत बनना है. आप निश्चित अपना कल्याण कर लेंगे. आज इतना ही रहने दें. “सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम्" अगर कुत्ता हमें काटे और हम भी कुत्ते को काटने के लिए तत्पर बन जाएँ तो फिर हमारे और कुत्ते में क्या फर्क रहेगा! अपकारी के प्रति भी उपकार की वर्षा करना भगवान महावीर का आदर्श था. मैं समझता हूँ यही आदर्श हमें सुख-शान्ति और आनन्द दे सकता है. प्राणी-मात्र के प्रति परम मैत्री की अभिलाषा ही हमें सब दुःखों से मुक्त करेगी. Jen ना 373 For Private And Personal Use Only

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