Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 404
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी: - करते, ऊपरी स्थिति देखकर के हम संघर्ष में चले जाते हैं. अगर मति में चले जाएं तो विवाद का कोई कारण नहीं रहेगा. समस्या खोज निकालेंगे. हमारी आदत कि छोटी-छोटी बात को लेकर हम विवाद उपस्थित करेंगे, बच्चों की तरह से हमारा हठाग्रह हो जायेगा. कई बार आग्रह सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं में उलझा देता है. सारी समस्याएं विवाद में से जन्म लेती हैं, सारे विवाद नहीं संवाद चाहिए. जो भी चचा का जाय, सवाद के रूप में की जाये. विचारों का आदान प्रदान हो जिससे कोई नयी चीज हमको मिले, विचारों के उस तत्व का मन्थन हमको मिले जो आत्मा के लिये पोषण देने वाला हो. विचार और चिन्तन यदि संवाद की भूमिका पर हैं. तब तो वह प्रसन्नता देने वाले बनेंगे, यदि विवाद की भित्ति पर हैं तो संघर्ष होगा.. कई जगह पर पढ़े लिखे शिक्षित व्यक्ति हो करके भी छोटी-छोटी बातों में पड़ जाते हैं, और संघर्ष पैदा कर लेते हैं. हिन्दुस्तान के अन्दर यहां के पढ़े लिखे शिक्षित पार्लियामेन्ट में या विधान सभा में यदि देश की कोई समस्या हो, राष्ट्रीय हो, सामाजिक हो या किसी भी प्रकार की मौलिक समस्या हो, वहां पर विचार विमर्श करें क्योंकि वह संवाद का, विचार विमर्श का स्थान है और यदि उसे विवाद का रूप दे दें और फिर नाटक, तमाशा हो तो यह स्थिति देश के लिए कितनी शर्मनाक है. यदि न्यूज में ये आ जाये तो हमारे आने वाले बच्चे का क्या संस्कार? बाहर के लोग किस प्रकार से हमारी स्थिति का तमाशा देखेंगे. राष्ट्र का गौरव कहां रहा? __ कुछ वर्ष पहले, बात बड़ी छोटी थी लेकिन विवाद क्या रूप लेता है? उसका एक नमूना बतलाऊं. नागपुर में महाराष्ट्र की विधान सभा का सत्र चल रहा था. महाराष्ट्र में गणेश जी की बड़ी मान्यता है. वहां के लोगों के अन्तर भाव में बड़ा पूज्य भाव है. गणेश जी को वहां का एक प्रतीक माना गया है. मंगल भावना का. बड़े आदर की दृष्टि से देखते हैं. हरेक कार्य में गणेश जी को सबसे पहले याद करते हैं. वैसे भी भारतीय परम्परा में “श्री गणेशाय नमः बोल करके ही कार्य प्रारम्भ किया जाता है. वहां एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया. किसी व्यक्ति ने वहां प्रश्न किया कि भारत धर्म निरपेक्ष है. असांप्रदायिक है. ऐसी स्थिति में यदि बच्चों को पढ़ाने की पस्तक जो सचित्र आती है, उसमें ग के द्वारा गणपति का परिचय दिया गया. ग यानि गणपति. महाराष्ट्र में हर बालक गणपति से परिचित है. वहां के आराध्य देव माने गये हैं. उस व्यक्ति ने आपत्ति उठाई कि ग की जगह गणपति क्यों? उन लोगों को गणपति का नाम लेने में भी जोर लगता है. रहेंगे हमारे देश में, आज से नहीं हजारों वर्षों से हमारे यहां पर हैं, एक हजार वर्ष तो उनका राज्य चला, हमारी सारी संस्कृति विकृत बनी. इस देश को बहुत बड़ा नुकसान सहन करना पड़ा, फिर भी उनको आपति ही नहीं. प्रसंग आता है तो वे अपनी समस्या खड़ी कर देते हैं. एक घन्टे के लिए यदि लोकसभा में प्रश्नोत्तर चला हो तो लाखों का - - 375 For Private And Personal Use Only

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