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-गुरुवाणी
थोडा समय ही हुआ था कि मफतलाल अपने साथियों के साथ खेत पर लौटा. खेत बहुत बड़ा था, जैसे ही सामने से आया तो बाबा जी ने उसे देखा. सोचने लगा कि, अन्दर जो लोग गए हुए हैं, उनका इसको मालूम पड़ गया तो अनर्थ हो जायेगा.
अब बाबा जी द्विअर्थी शब्द का प्रयोग करने लग गए, बड़े होशियार, बड़े चालाक थे वे. हमारे यहाँ भी कई भक्त आपको मिलेंगे जो द्विअर्थी शब्द का प्रयोग करते हैं, ताकि परमात्मा का माल भी आपको नजर आ जाए, और खुद का माल भी सप्लाई हो जाए, चाहेंगे कि लोग उनके अनुरागी बन जायें
बाबा जी ने देखा कि अब मेरी पिटाई करेगा. यह चेहरे से भी रुद्र लग रहा है. पुण्य प्रकृति का नजर नहीं आ रहा है. मफतलाल सामने से आया. बाबा जी बाहर चौकीदारी में खड़े थे, अन्दर चेलों को सावधान करने के लिए जोर से बोले.
सन्त पकड़ लो, आ गए गेरुवाधारी, अरे भाई सन्त को पकड़ो. गेरुवा वस्त्र पहने हुए, ये वैराग्य का सन्देश देने लिए तुम्हारे सामने आये हैं, तुम सन्त को पकड़ो. सन्त का आश्रय लो. सन्त के चरणो में समर्पित हो जाओ तो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा. मफतलाल को उपदेश देने लग गए, अन्दर से साधुओं को इशारा कर दिया कि घूम फिर करके मेरे को आकर पकड़ लो तो सुरक्षित हो जाओगे. अन्दर रहना ठीक नही है, खतरा है. ___ बेचारे वे तब भी आये नहीं. वे गन्ना काटने में ही मस्त रहे. गुरु जी घबराये, पसीना छूटने लगा. इनको कहां तक उपदेश देता रहूँ,
सामने मफतलाल हाथ जोडकर खड़ा था. कहा, अरे भई सन्तों का आश्रय लो, सन्तों को पकडो. तो इस भव की पीडा से बच जाओगे. चेले फिर भी निकले नहीं. नहीं निकलने का परिणाम वे जानते थे. क्या होने वाला है. बाबा जी ने आगे उपदेश लम्बा किया और कहा
लम्बे हो तो छोटे कर लो, कर लो, गुप्तधारी सन्त पकड़लो आ गए गेरुवाधारी. मन में समझ गए गन्ने लम्बे हैं, काट तो लिया पर लाने में तकलीफ है, कैसे उन्हें लाना है? उसका उपाय बतला दिया.
लम्बे हो तो छोटे कर लो गुप्तधारी.
चेलो से कह दिया लम्बे हैं तो काट कर छोटे बना लो, गठरी बांध कर के गुप्त रूप से ले आओ, मुझे पकड़ लो तो तुम बच जाओगे.
मफतलाल को कहा अरे भाई, तुम देखते नहीं संसार तो बहुत लम्बा चौड़ा है. वह छोटा होता है, उस लम्बे चौड़े संसार को अगर काट कर छोटा बना लो, पर इसके लिए इन्द्रियों को गुप्त करना पड़ेगा. गुप्तेन्द्रिय होनी चाहिए. तब संसार जो लम्बा है, वह छोटा होता है, साधु सन्तों का कहना है कि अपने संसार को छोटा बना लो, नहीं तो लम्बे संसार में कहा तक भटकोगे. अपना यह उपदेश दे रहे थे वे लगातार.
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