Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 373
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी - मफतलाल को भी संभाल कर रखा, और अपने चेलों का भी ध्यान रखा, एक तीर से दो शिकार कर रहे थे. फिर भी चेले बाहर नही आये. अब बाबा जी घबराये कि आज तो मुश्किल पूरी है. तब बाबा जी ने आगे बढ़कर के कहा "चरमदास की मार पडेंगी, पूजा होसी थारी", बाबा जी ने साफ कह दिया कि अब भी नही निकले तो चरमदास याने चमड़े की जूते से अच्छी मार पड़ेगी. जल्दी आ जाओ, मेरे पास आ जाओ तो रक्षण मिल जाएगा. मफतलाल ने कहा जो उनके सामने ही खड़ा था, क्या सुनता है, समझता है मेरी बात ? अगर साधु सन्तों के शब्दों को नही सुना, अमल में नही लाया तो कर्म राजा चमड़े के जूते से तुम्हारी मरम्मत करेगा. इस प्रकार इधर इसको भी संभाल के रखा. अपनी बात बराबर जमा के रखी, उधर चेलों को भी सावधान किया. पर चेले, पता नहीं किस काम में लगे थे, आये ही नहीं. बाबा जी का रक्तचाप बढ़ गया, पसीना भी छूटने लगा, सोचा कि चेलों को छोड़कर यहाँ से कैसे जाऊँ? जाता हूँ तो भी समस्या, उधर चेले विचार में पड़ गये कि आएं कैसे? गन्ना काटा हुआ है, चोरी किया हुआ है, यह चोरी का माल पास में है, अब कैसे बाबा जी के पास जाएँ ? बाबा जी बार-बार इशारा कर रहे हैं, मेरे पास आ जाओ. इधर बाबा जी से जब नही रहा गया तो उपदेश देकर उन्होंने चारों तरफ देखा. चेले कहीं दीख नही रहे थे. खोपड़ी भी नजर नही आ रही थी. बाबा जी ने साफ कह दिया फिर “अन्दर पूजा थारी होसी, बाहर होसी मारी, सन्त पकड़ लो सन्त पकड़ लो, आये गेरुवाधारी" अब कोई उपाय नही रहा, तब बाबा जी ने देखा एक रास्ता बच गया है, चेलों को बतला दूं , चेले भी बच जाएंगे और मैं भी निकल जाऊंगा. मफतलाल से कहा – “सेठ संसार तो बहुत लम्बा-चौड़ा हैं, कहां तक इस संसार में खेती करते रहोगे, कहां तक यों उपार्जन करके पेट भरते रहोगे?" _ "राम नाम को रटकर चेले, टप जा परली क्यारी." राम नाम का रटन करके बैक साइड से पिछली ओर से निकल जाना. मैं भी उस तरफ आता हूं. इशारा कर दिया, रास्ता बतला दिया. मफतलाल से कहा कि संसार की क्यारी को टपने के लिए राम नाम का सहारा चाहिए, उसके सहारे संसार से पार उतर जाओगे. यह कहकर बाबा जी चलते बने. कहने का मतलब यह है कि उपदेश देने का भी एक तरीका होता हैं. यदि इस प्रकार चालाकी की जाए और परमात्मा के विचार के साथ यदि खेला जाए तो क्या परिणाम आएगा. अपनी स्वयं की आत्मा के लिए यह कितना खतरनाक हो जाएगा. कोई व्यक्ति कभी किसी का कल्याण नही कर सकता. व्यक्तिगत अनुराग कई बार पतन का कारण बनता हैं. इसीलिए सूत्रकार ने कहा कि साधुता का राग चाहिए, साधु का नहीं. यदि उसके 344 For Private And Personal Use Only

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