________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org:
गुरुवाणी
की पूजा में आगे बढूंगा, नहीं तो परमात्मा मेरी पूजा स्वीकार नहीं करेगा. मेरे पास साधन है. मेरे पास शक्ति है यदि मैं शक्ति को छिपाऊं तो अपराधी बन कर के जाऊंगा मैं शत्रुंजय साहूकार बन कर के जाना चाहता हूं, अपराधी बन के नहीं.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हमारे पूर्वजों में ऐसी मंगल भावना थी. न जाति देखते थे न व्यक्ति देखते थे. वहां तो कार्य देखकर के अपना कार्य करते थे. इस कार्य से मेरी आत्मा को आनन्द मिलेगा, प्रसन्नता मिलेगी और कहां आज हमारी स्थिति, बड़े बुद्धिमान और चतुर हैं. जब देने का नाम आए फिर आप देखोगे, चेहरा देखो, फोटो उतार लो जैसे कैस्टर आयल पीकर के आया हो, या सुदर्शन चूर्ण फांक करके आया हो,
मफतलाल सेठ मर रहे थे. अड़ोस पड़ोस के लोग आए राम का नाम लेने के लिए कि सेठ साहब अब तो परोपकार कर जाओ. जीवन में कभी खर्चा ही नहीं रात्रि में निकलते, एक थैली पास में रखते जूता उसी में उतार के रखा करते थे कि रात्रि में जूता घिस जाए. कोई हमारे जैसा मिल जाए, कह दे सेठ रात्रि में नंगे पांव चलते हैं. ये नहीं कहते कि जूता घिस जाए इसलिए बैग में रखा है.
इतने चालाक आप पकड़ नहीं सकते. इतने होशियार वाक्पटुता में भी वे निपुण थे. चतुर्मास का समय, कीड़े-मकोड़े मर जाएं जीव यातना की जाती है.
मरते समय मोहल्ले वाले राम का नाम लेने के लिए आए. किसी मित्र ने कहा, यार मरते-मरते तो कुछ दान करके जा. क्यों बदनामी लेकर के जा रहा है. वह बहुत लंगोटिया दोस्त था. मफतलाल की नज़र में एक गाय आई और कहा जाओ पंडित को बुलाकर लाओ, मुझे अभी गोदान करना है.
लोग तो आश्चर्य में पड़ गए कि यह क्या चमत्कार हुआ, गऊ दान तो बहुत बड़ा दान है. गाय मिल जाए, रोज का दूध मिलेगा. मफतलाल सेठ ब्राह्मण को गऊदान देगा. पंडित प्रसन्न हो गया. गांव के लोग मानने को तैयार नहीं. परन्तु घर के लड़के बुलाने गये थे. पंडित रास्ते में आ रहा था. जिससे भी मुलाकात होती कहते, अरे मफतलाल के यहां जा रहा हूं, गोदान कर रहा है.
लोगों ने कहा पंडित जी माल ले आओ पर इस घर का अनाज पचेगा नहीं. यह गाय उस घर की है. पंडित तो लोभ में आए हुए थे. यार तुम तो वैसे ही बकते रहोगे, कभी न कभी तो आदमी की मति सुधरती है, मरते समय उसने जो पुण्य का विचार किया है उसके लिए धन्यवाद दो.
पंडित जी आए और गोदान की क्रिया हुई. गऊ को लाया गया. पूंछ पकड़ कर पंडित जी के हाथ में दे दिया गया. मन्त्र बोले औपचारिक विधि पूरी हुई अनुष्ठान पूरा हुआ. मफतलाल ने कहा कि मेरे जाने के बाद सवा पांच पैसा दक्षिणा बच्चों से ले लेना यानि वह भी उधार. गाय लेकर के गए, गाय तो बीमार थी. बड़ा अनुभवी, उसका अंदाज बिल्कुल सही, एक पाव दूध भी नहीं पिया और शाम को चार बजे गाय मर गई.
157
For Private And Personal Use Only
do 20