Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 347
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir गुरुवाणी आपने रक्षण नहीं किया, आपका परिणाम दूषित बनेगा, निष्ठुर बनेगा, भविष्य में जाकर । क्रूर बन जाएंगे. अपनी करुणा को रखने के लिए, अनुकम्पा के रक्षण के लिए, अपनी कोमलता को बचाने के लिए, हम उसे बचाने का प्रयास करेंगे, ये आपके सामने घटना न हो क्योंकि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से-जो चीज़ बार-बार देखी जाएगी, आपके अन्तर हृदय में भी वह वासना जन्म लेगी, वह सारी कोमलता, पवित्रता चली जाएगी. __ आहार करता है. नहीं करता है, वह प्राकृतिक वस्तु है, हम कहां-कहां बचाने जाएं? किस-किस का रक्षण करें? व वहां जाएं? परन्तु मेरी नजरों में जो सामने घटना घटित होती है. तो हमारा नैतिक कर्तव्य है. एक बार नहीं हजार बार हम उसे बचाने का प्रयास करेंगे. बचाना मेरा कर्तव्य है मेरा परम धर्म है. . वह अपना भोजन कहीं न कहीं प्राप्त कर लेगा, इस दृष्टि से आप भोजन की चिन्ता न करें, मेरी आत्मा के परिणामों की क्या दशा होगी. आज रोज यहां किसी को चाक चलाते देखिए तो आपका परिणाम कैसा बनेगा? टी.वी. में सिनेमा में जो बार-बार ये हिंसक दृश्य बतलाए जाते हैं. अश्लीलता के जो दृश्य दिखलाए जाते हैं. उसका परिणाम तो आज देश भोग रहा है. नई नई तकनीक निकल रही हैं. कैसे इन्सान को मारना? कैसे उसको किडनैप करना? कैसे उसको यन्त्रणा देनी? कैसे बहानों के साथ निर्लज्ज व्यवहार करना, ये सारी हकीकत हर रोज देखते हैं, रोज पेपरों में पढ़ते हैं. हमें यह नहीं मालूम कि एक सामान्य फिल्म या टी.वी. में देखा हआ दृश्य हमारे मानस को दूषित कर देता है. विचार को विकृत बना देता है. बालकों के संस्कार को खण्डित कर देता है, तो फिर हमारी नजरों से साक्षात इस दृश्य को हम देखें तो क्या दशा होगी? आपकी कोमलता कहां जाएगी? दया मर जाएगी. दया को जीवित रखने के लिए परमात्मा का आदेश है, शास्त्रों का उल्लेख है-ऐसे प्रसंग पर जीव का रक्षण करें. मेरी बात समझ गये? बहुत सी बातें श्रद्धा से समझने की होती हैं. हर जगह पर तर्क नहीं किया जाता. तर्क से आगे की जो वस्तु हैं, वहां श्रद्धा रखकर के ही चला जाता है. संसार में बहुत जगह पर हम श्रद्धा रखते हैं, विश्वास रखते हैं. डाक्टर पर हमारी श्रद्धा होती हैं. वकील पर हमारी श्रद्धा होती है. उसे जाने दीजिए मां कहती है तेरे पिता जी हैं, पूर्णतया हम श्रद्धा रखकर चलते हैं. __ शंका है, कोई कुशंका है. यहां पर तीर्थंकर परमात्मा घोषित करते हों. जिस वस्तु को सत्य के रूप में सिद्ध करके सामने रखते हों, निशंक हो करके उसे स्वीकार कर लेना है. स्वीकार यह सम्यक दर्शन है. और जीवन की आधार शिला है. मोक्ष का जन्म स्थान . भी सम्यक् दर्शन है. जो उनके प्रश्न थे, मैंने संक्षिप्त में बतलाए. प्रश्न मात्र तीन थे, इसलिए मैंने बहुत लम्बा चौड़ा इसमें समय नहीं लिया. थोड़ी सी भूमिका मैंने समझा दी. प्रश्न कैसा होना चाहिए? अधूरा न हो. पूरी जानकारी का हो. स्वयं 318 For Private And Personal Use Only

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