Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 356
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी उस समय हमारे पूज्यों ने, वहां के संघ ने निर्णय किया. नहीं तो कितने ही व्यक्तियों की मौतें हो जाती, उपद्रव से, अशान्ति से सारे संघ में विक्षोभ हो जाता, उसे शान्त करने के लिए स्वीकार किया कि चलो आज से यह हम निर्णय करते है, और पूरे संध में घोषित करते हैं तुम्हारी बताई हुई स्तुति आज से बोली जाएगी, तब से आज तक नौ सौ वर्ष हो गए, हर चतुर्दशी के दिन सनात्सया की स्तुति बोली जाती है. “बाल चन्द्राभदंष्ट्रम्” उसी नालायक शिष्य की रचना है, कलिकाल सर्वज्ञ के शिष्य थे, किन्तु आत्मा से बहिष्कृत कर दिया गया, और परिणाम मृत्यु के बाद व्यन्तर मानों में प्रतिशोध की भावना से, संघ के अन्दर जब उपद्रव किया, उसे शान्त करने के लिए संघ ने स्वीकार किया, यह स्तुति आज तक बोली जाती है. कहने का मतलब, उन आत्माओं की आप प्रामाणिकता देखिए, आज हमारे जीवन की दुर्दशा देखिए, प्रतिक्रमण करें, सामायिक करें, परमात्मा की प्रार्थना करें, परमात्मा के प्रति हमारा विश्वास, हमारा प्रेम और हमारा अनुराग कैसा? वे हमारे पूर्वज थे. परमेश्वर के लिए प्राण देने वाले थे. दो पैसा देना पड़े, तो दस बहाना निकाले. वहा देकर आ जाएंगे. गुप्तदान करके आ जाएंगे. सामने सीना करके देंगे. आई. टी. ओ. शरणम् पव्वज्जामि. इन्कम टैक्स आफिस में गए, वहां हमारी दशा देखिए, दो शब्द कड़वा भी कहे तो भी सुन लेंगे, साधु मुनिराज यदि आपके कल्याण के लिए दो शब्द बोलें तो आपसे सहन नहीं होगा. आफिस में सहन होगा, वहां की मार खाकर आ जाएंगे, जगत का अपमान सहन करके आएंगे, इन्कम टैक्स आफिस में अगर आपको चोर कहें तो भी आप आशीर्वाद मानेंगे, यदि साधु आत्म कल्याण के लिए दो शब्द कहे, हमारी गुरु भक्ति, हमारे शासन के अनुराग, आत्मकल्याण की भावना, से दो शब्द कहे, तो भी ये पचा नहीं पाते. यह हमारी दशा है. सारे जगत के लिए हम सहन करते हैं, परन्तु आत्मा के लिए हमारी कोई तैयारी नहीं. इस स्थिति में वर्तमान चल रहा है. बात करते हैं मोक्ष की. कभी हमने यह नहीं सोचा कि हमारा वर्तमान किस प्रकार का है. दुराचार से भरा हुआ, अनीति से भरा हुआ यह जीवन कैसे आपको मोक्ष देने वाला बनेगा. आहार पवित्र नहीं तो विचार की पवित्रता कैसे आएगी. द्रव्य शुद्ध नहीं तो भाव शुद्ध कैसे होगा? आहार की अशुद्धता. आने वाले रविवार को अपने उस पर विचार करेंगे. हमारा आहार कैसा है? और उसका क्या परिणाम आता है? आपको नमूना बतलाऊंगा. आपके जीवन का दर्शन आने वाले रविवार को मिल जाएगा, यह तो मैं उससे पूर्व का परिचय दे रहा हूं कि हमारी वर्तमान में यह अवस्था है, हम धार्मिक बनने का प्रयास करते हैं, इतना सस्ता धार्मिक बनना नहीं है, 327 For Private And Personal Use Only

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