Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 339
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी बोलना बन्द करें, स्वयं को समझने का विशेष प्रयास करें. शारीरिक लाभ, मानसिक शान्ति आपको मिलेगी, आत्म शक्ति का उसके द्वारा विकास होगा. बहुत बड़ी शक्ति हमारी व्यय हो रही है, उसे रोक लिया जाएं. ___ बहुत पहले की बात है कि एक छोटी सी घटना है. जिस समय यहां मुगल बादशाह थे, इंग्लैण्ड के अन्दर जार्ज का राज्य चल रहा था, किसी कारण से वहां इंग्लैण्ड के राजा को किसी व्यक्ति से जानकारी मिली कि भारत के अन्दर बहुत शानदार इमारत बनाते हैं. बड़े सुन्दर बिल्डिंग बनाने वाले लोग हैं, राज महल बनाते हैं. बड़े-बड़े किले बनाते हैं, क्यों नहीं लंदन के अन्दर इसकी सुन्दरता बढ़ाने के लिए ऐसी इमारतें बनाई जाए. राज दरबार के अन्दर वहां के राजा ने अपने लोगों से बात की. एक व्यक्ति था, किसी समय में भारत आया था, बहुत थोड़े समय के लिए कोई व्यापार का कार्य करने के लिए आया था, वह जब वापिस लौटा तो टूटी फूटी हिन्दी उसे आती थी, काम चलाऊ जिसे कहा जाए. जब दरबार के अन्दर इंगलैण्ड के राजा ने कहा, मुझे वहां जैसी इमारत बनानी है, उसकी जानकारी के लिए किसी को भारत भेजना चाहता हूं, वहां से ऐसा इन्जीनियर लेकर आए. इस देश के अन्दर, उस प्रकार के भवन निर्माण किए जाएं. पूछा-कोई है वहां जाने के लिए तैयार? वहां की भाषा से कोई परिचित है? वह अधूरा व्यक्ति था, खड़ा हो गया. खड़ा होकर के कहा-मैं बहुत अच्छी हिन्दी जानता हूं. मैं भारत जाकर के आया हूं, बहुत बड़ी-बड़ी ऐसी सुन्दर इमारतें मैंने देखी हैं. मैं ऐसे इन्जीनियर को खोजकर के ला सकता हूं. दो आदमियों को साथ लेकर के बजट बना दिया गया, और उसकी यात्रा का विशेष प्रबन्ध कर दिया गया. कहा जाओ. भारत भ्रमण के लिए निकलना हो जाएगा. मुफ्त का पैसा मिल जाएगा, मौज शौक कर लेंगे, अन्तर में यह वासना अधूरा व्यक्ति था. इंग्लैण्ड से चला. जैसे ही दिल्ली पहंचा. यहां मगल दरबार में अपना परिचय दिया, शाही स्वागत किया गया. मेहमान था. इंग्लैंण्ड के राजा ने भेजा था , उसने अपनी जिज्ञासा रखी कि किस कारण यहां पर आया हूं, मुझे यहां बड़ी सुन्दर इमारतें देखनी हैं. उस के बनाने वाले ऐसे सुन्दर कारीगर, मुझे अपने देश में ले जाने हैं. यहां राज्य का सर्वोपरि केन्द्र स्थान होने से यहां तो द्विभाषिये होते हैं, यहां तो उनके सब काम बराबर हो गए. सारी परिस्थितियां बादशाह ने समझ ली, उसके लिए शाही फरमान दे दिया गया. वे जहां चाहे रह सकता है. जो इमारत देखना चाहे, नक्शा बनाना चाहे, बना सकता है. कोई कारीगर अपने देश ले जा सकता है. फरमान मिल गया. दिल्ली से वह चला आगरा गया. जाकर के ताज महल देख आया तो कुछ नहीं था, अधूरा व्यक्ति था, उसने वहां देखकर लोगों से पूछा. जमाने में इसका कोई ऐसा महत्व नहीं था. क्योंकि नया बना था. न कोई ऐतिहासिक जानकारी हमारे पास. यहां के लोग न उस समय इतने शिक्षित पास में जाकर के जब उसने कहा. मोस्ट वन्डरफुल बिल्डिंग? DU 310 For Private And Personal Use Only

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