Book Title: Guruvani
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 326
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %Dगुरुवाणी परमात्मा वहां से जब बाहर जाने लगे तब लोगों ने देखा इस योगी पुरुष का चमत्कार. अब सब जाने - आने लग गये उस रास्ते से. किसी ने दूध डाला, किसी ने दही डाली, नाग पूजा शुरू हो गई. परन्तु सर्प इतना स्थिर बन गया. शरीर का जरा भी हलचल मुझे नहीं करना. कीडी मकौड़े आने लग गये. सर्प का मांस बड़ा स्वादिष्ट कोमल होता है, चींटियों ने चटका मारना शुरू कर दिया, उनके शरीर पर दूध पडा था. नैवेद्य पडे थे. मिठाई बगैरह चढ़ाते थे लोग, उस कारण से सर्प को काटने लग गए, घायल कर दिया. सर्प के शरीर को छलनी जैसा बना दिया. आर-पार होने लग गये. __ मरते-मरते भी चण्ड कौशिक सर्प की समता कैसी. हे आत्मन्, तूने इतना बड़ा पाप किया है. यह सजा तेरे लिए बहुत कम है. मरते समय भी अगर तूने विराधना की, तेरे निमित्त से किसी आत्मा की हत्या हुई. कितना अनर्थ होगा. यह बड़ी कोमल चीटियां हैं कीड़े मकोड़े हैं, मेरे शरीर के अन्दर प्रवेश करते हैं. मेरे शरीर के आहार से आनन्द लेते हैं. तूने अगर प्रमाद से आवेश में आकर अपने शरीर को हिलाया या जरा भी हलचल किया तो तेरे शरीर के चलने से दबकर बेचारे कीड़े - मकोड़े मर जायेंगे. ___इनके अन्दर भी आत्मा का निवास हैं. मरते-मरते किसी को मारकर के मुझे नहीं जाना है. शरीर नष्ट होता है तो हो जाये. अपने शरीर को मैं जरा भी हिलाऊंगा नहीं, ऐसी प्रतिज्ञा. छलनी जैसा शरीर हो गया. कीडियां आसपास होने लग गई, परन्तु उस आत्मा की समता कैसी. परमात्मा के परिचय का कैसा पुण्य प्रभाव? एक दम समत्व में आ गया. मरकर सर्प अन्त में देव लोक में गया. ___कैसी अपूर्व घटना. परमात्मा का प्रेम और वात्सल्य देखिए. आप विचार करेंगे खून की जगह दूध कैसे आया. यह परमात्मा की समता का चमत्कार, यह प्रेम का चमत्कार, यह प्रेम की अपूर्व साधना. सर्वोत्कृष्ट साधना का प्रकार. सारे रेड-सेल्स बन गये. मां के स्तन में क्या होता है, रक्त का ही रूपान्तर होता है. स्तन में रक्त ही रहता है. बालक को स्तन पान कराती है, बालक के मुंह का स्पर्श हुआ, बालक के प्रति मां का अपूर्व वात्सल्य, फीलिंग से चैंन्जिंग आता है. रासायनिक प्रक्रिया में परिवर्तन आता है. रक्त परमाणु दूध के परमाणु बन जाते हैं. वही रक्त दूध बनकर के बालक का पोषण करता है. एक बालक के प्रति जब मां का हृदय बात्सल्य से पूर्ण बन जाये. वहां उस स्तन में रहा हआ रक्त भी दूध बन जाये, जो आत्मा प्राणी मात्र से प्रेम और वात्सल्य रखेगा, अंशमात्र भी जहां कटुता नहीं, उनके शरीर के अन्दर रक्त कहां से मिलेगा? परमात्मा के चरणों से दूध की धारा निकली, उसका यह वैज्ञानिक कारण प्रेम और चरणों से दूध की धारा निकली, उसका वैज्ञानिक कारण प्रेम और वात्सल्य से परिपूर्ण उनकी आत्मा थी. कहीं वैर-विरोध की भावना नहीं थी. उसी परमात्मा के अनुयायी बनकर यदि हम आराधना न करें, यहां सूत्र कार ने लिखाः nolo न 297 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410