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3-गुरुवाणी--
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बहुत उठ-बैठ की, बड़ी अदब के साथ नमाज अदा की और जब शाही भोजन का प्रसंग आया और महल में गये तो बड़े-बड़े अमीर, बड़े-बड़े खानदानी श्रीमंत, नवाब के जितने भी परिचित मित्र थे, वे सब आये थे. वे सब तो घर से भोजन करके आये थे और वहाँ पर तो औपचारिक दृष्टि से उनका आमंत्रण था. आदर की भावना से वे सब बैठे और दो-दो ग्रास लेकर उठे और हाथ धोकर चलते बने. बड़े मुल्ला ने विचार किया कि घर से भूखा आया था और पेट पाताल में जा रहा. यहां पर तो यह हालत कि सब दो-दो ग्रास खाए और हाथ धोकर उठ गये. मेरी तो बड़ी बुरी दशा हुई है, अभी जो दो ग्रास लिया, यह तो गले तक उतरा है, पेट तक पहुंचा भी नहीं और ये उठ गये. बड़ी सुन्दर सामग्री थी, इतनी सुन्दर भोजन की सामग्री देख कर मुल्ला बड़ा विवश हो रहा था.
बड़े मुल्ला ने सोचा कि सब खा पी करके उठ गये और यदि मैं बैठा रहूं तो ये लोग समझेंगे कि कहां का दरिद्र आया है? कौन से दुष्काल से आया है, अभी तक खाने के लिए बैठा है. मैं किसी से कम थोड़े ही हूं. मुल्ला उठ करके अपना हाथ मुंह धो करके अपने घर आ गया; परन्तु बेचारा भूखा था. इतनी अदब से नमाज अदा की, उठ बैठ बहुत की थी, अत: भूख तो बहुत तेज लगी थी, परन्तु उसकी विवशता यह थी कि वह औपचारिकता वश लज्जा के कारण खा नहीं पाया. घर पर आया और अपनी पत्नी से कहा कि जल्दी रसोई तैयार करो, बड़ी भूख लगी है. ___"आप तो मना करके गए थे कि आज शाही भोजन करके आऊंगा. और तुम्हारी यह हालत कि आते ही आदेश देना शुरु कर दिया. क्या बात है. वहां खाकर नहीं आये?"
"अरे तू समझती नहीं है, वहां बड़े-बड़े श्रीमंत आए थे, बड़े-बड़े अमीरजादे, बड़े-बड़े पीरजादे आये हुए थे, नवाब के परिवार के लोग थे. उन्होने तो दो-दो ग्रास खाए, और हाथ धोकर सब उठ गये. मेरी बड़ी विवशता थी. मैंने भी कहा मैं तुमसे कम थोड़े ही हूं. उनको दिखाने के लिए मैं भूखा होते हुए भी हाथ धोकर उठ गया."
उसकी पत्नी बड़ी समझदार थी उसने कहा - "बड़े मियां अन्दर जाओ और फिर से नमाज पढ़ो, फिर से बंदगी करो. उसके बाद यहां खाना खाने आना. तब तक मैं खाना तैयार करती हूं."
"क्यों? नमाज फिर से क्यों पढ़ें?"
"अरे वह नमाज भी तुमने दिखाने के लिए, नवाब को खुश करने के लिए अदा की थी. वह खुदा तक नहीं पहुंची. ठीक उसी तरह जिस तरह तुमने खाना दिखाने के लिए खाया और वह पेट तक नहीं पहुंचा और आप वहां से भूखे आये." ___ तात्पर्य यह है कि जो साधना प्रदर्शन के लिए होगी, उसमें स्वदर्शन का अभाव होगा. नमाज़ दिखाने के लिए अदा की, वह खुदा तक नहीं पहुंची, दिखाने के लिए खाना खाया वह पेट तक नहीं पहुंचा और घर में भूखा आया. कहां तक दिखाने के लिए धर्म करेंगे?
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