Book Title: Gujarati Bhashani Utpatti Kevi Rite Thai
Author(s): Manekmuni
Publisher: Chotalal Nathalal Kathorwala
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સત્તરમું શ્રી પિંડરીક અધ્યયન.
[ ५७ समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसू परदत्तभोइणो भिक्खुणो पावंकम्मंणो करिस्सामो समुदाएते अप्पणा अप्पडिविरया भवंति,सयमाइयंति अन्ने वि आदियाति अन्नपि आयतं तं समणुजाणंति, एवमेव ते इथिकामभोगेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना लुद्धा रागदोसवसट्टा, तेणो अप्पाणं समुच्छेदेति,तेणो परंसमुच्छेदेति, तेणो अण्णाइं पाणाई भूताइं जीवाइं सत्ताइ समुच्छेदेति, पहीणा पुव्वसंजोगं आयरियं मग्गं असंपत्ता इति ते णो हव्वाए णो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसन्ना इति पढमे पुरिसजाए तज्जीव तच्छरीर एत्ति आहिए ॥सू.९॥
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