Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 13
________________ चंदन लगाया और खादी के कपड़े में लपेट कर उन्हें ठठरी पर लिटाया गया, उसके बाद वंदेमातरम् के नारों के साथ राजीव भाई को स्वर्गरथ में बिठाया गया। 'वंदेमातरम्' और 'राजीव भाई अमर रहे' के नारों के साथ राजीव भाई को कनखल आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, स्वामी जी की माताजी के आँसू रूक ही नहीं रहे थे। वहाँ पर हरिद्वार के हजारों लोगों ने राजीव भाई के दर्शन किये। वहाँ से घाट तक राजीव भाई को कंधे पर ले जाया गया। कनखल घाट पर उनकी चिता सजाई गई। मैने स्वामी जी से आग्रह किया कि स्वामी जी आप राजीव भाई को वर्धा से गंडा बांधकर लाये थे और अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए आप अपनी सन्यास परम्परा को छोड़कर मुखाग्नि अवश्य दें। स्वामी जी ने,आचार्य जी ने और मैंने तीनों ने मिलकर मुखाग्नि दी। सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं ने समिधा डाली और राजीव भाई पंचतत्व में विलीन हो गये। अब उनका शरीर हमारे साथ नहीं है लेकिन उनका विचार, उनके संकल्प हमारे साथ हैं उन्हें ही पूरा करना है। गंगा में उनकी अस्थियों को इस संकल्प के साथ प्रवाहित किया कि राजीव भाई के विचार पूरे देश में फैलाने हैं। गंगा जहाँ-जहाँ जाती है वहाँ-वहाँ राजीव भाई के विचार फैलेंगे और उन्हीं किनारों पर फिर से वे पैदा होंगे। राजीव भाई की जन्मभूमि गंगा के किनारे ही रही और वे फिर से उन्हीं किनारों पर पैदा होंगे। स्वदेशी के प्रति राजीव भाई की अगाध श्रद्धा और तड़प को शतःशतः नमन, इस तड़प और श्रृद्धा को लेकर हम सब इस लड़ाई को जारी रखेगें..... प्रदीप दीक्षित (सेवाग्राम वर्धा 13-2-2012) 0000 : १२ ......................... ____ स्वदेशी कृषि

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