Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 102
________________ -7 वनौषधि गत पचास सालों से कीटनाशक, फफूंदनाशक, नींदानाशक के रूप में रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है। उसकी - जाँच पड़ताल करके विश्व के आरोग्य संगठन और राष्ट्र संघ के खाद्य एवम् कृषि संगठनों ने सभी दृष्टि से इन्हें घातक पाया है। फिर भी अकेले 1998 में, भारत में 4388 करोड़ रुपयों की रासायनिक दवायें इस्तेमाल की गई। जल, जमीन, हवा, अनाज में ही नहीं माता के दूध में भी इनके जहरीले अंश आ गये। ऐसे विषाक्त वातावरण में सौ साल की कर्ममय जिंदगी हमें कैसे मिल सकती है ? मृत्युपंथ की ओर ले जाने वाली इस खतरनाक परिस्थिति से बचाने के रास्ते हमारे पुरखों के पास थे जिन्हें मानव प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिकों ने और प्रशस्त किया है। भूमि माता--बीज पिता भूमि सशक्त हो और स्थानीय बीज शुद्ध हो तो उसमें उगने वाला पौधा निरोगी और पुष्ट होगा जिसे बीमारी लगेगी नहीं, हुई तो अपने आप निकल जायेगी। अन्यथा साधरण ईलाज से दुरुस्त होगी। रासायनिक खाद के कारण प्रदूषित जल-जमीन में वह शक्ति कैसे होगी ? इसीलिए बीमारी की जड़ रासायनिक खाद का बहिष्कार करना चाहिए। स्वास्थ्य दाता नीम और गोमूत्र नीम की जड़, अंतरसाल, पत्ते, फूल, निंबोली,खली, तेल आदि के समुचित उपयोगसे चार सौ प्रकार के हानिकारक कीटकों से रक्षा हो सकती है। ऐसा वैज्ञानिकों स्वदेशी कृषि ......... १०१

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