Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 106
________________ अनुपात यह आयुर्वेदिक पद्धति के औषधि से बनाई दवा है जो पौधों की बीमारी से रक्षा और विकास करती है। चिपचिपा द्रव-- फलदार वृक्ष से यह निकलता है और पेड़ सूख जाता है। __ पेड़ के जड़ों के पास क्यारी अरंडी का तेल, उबले तम्बाकू का घोल या पावडर बिखेर दें। तो जड़ों के द्वारा यह दवा पेड़ में पहुंच कर चिपचिपा द्रव स्राव रोकेगी। पेड़ में छेद फलदार पेड़ों में कीट छेद करने से पेड़ सूख जाते हैं। जहाँ छेद दिखे वहाँ तुरन्त उसमें का बुरा निकाल कर कपड़े या कपास को पेट्रोल में भिंगो कर उसे छेद में ढूंस दें। या स्प्रेपंपसे पेट्रोल छेद में छिड़क कर वह छेद-गोबर-गोमूत्र मिट्टी में मिला कर बंद करें। राख कछ कीट-पतंग पतों में छेद करते हैं। राख का छिड़काव करने से सूक्ष्म जीवाणु वहाँ पहुंच नहीं पाते हैं। फलों का पोषण भी होता है। ज्वार में ट्रायगा रोग ज्वार के बीजों के साथ धनया बोने से नियंत्रण होता है। गेहूँ में तांबेरा-गेहूँ के बीज दूध में भिंगो कर छांव में सुखाने के बाद बोने से गेंहुवा रोग का खतरा कम होता है। अग्निहोत्र सारा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो फसल के विकास में रोगों के कारण बाध पड़ना अनिवार्य है। खेत में अग्निहोत्र द्वारा वातावरण शुद्धि अनिवार्य है। प्रकाशपाश-- लालटेन, पेट्रोमॅक्स, या बल्ब को तीन तारों में लटककर रात में खेत में रखने पर पतंग, कीटक आकर्षित होंगे। नीचे चौड़े बर्तन में केरोसीन मिश्रित पानी रखने से वेटकराकर बर्तन में गिरेंगे। चिपकाने वाली कागज रखने पर भी नियंत्रण होगा। एक फिट बाय एक फीट टीन के पत्ते को काटकर उसके दोनों बाजुओं पर पीला रंगलगायें। वहसूखने स्वदेशी कृषि १०५

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