Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 34
________________ 50 टक्का, 60 टक्का ही उत्पादन मिलता है। लेकिन खेती ऐसा उत्पादन है जिसमें आप एक रुपये का सामान डालिए सौ रुपये का सामान मिलता है। - तो इतना बड़ा उद्योग है जिसका सत्यानाश अंग्रेजों ने किया था। अब वहीं सत्यानाश भारत की सरकार कर रही है। और आज भी इस देश में वैसी ही नीतियां चलाई जा रही हैं जो अंग्रेजों के जमाने में चलाई जा रही थी। अंग्रेजों के जमाने में किसान अपने अनाजों का दाम तय नहीं कर पाता था। आज आजादी के पचास साल के बाद भी किसान अपने अनाज का दाम तय नहीं कर पाता इस देश में। सिर्फ किसान ही एक ऐसा वर्ग है जो अपने द्वारा खेत में पैदा किए गए किसी भी सामान का दाम खुद नहीं तय कर पाता। जितने भी कारखाने चलते हैं इस देश में, जितने भी उद्योग चलते हैं पूरे देश में। हर उद्योग और हर कारखाना चलाने वाला आदमी अपने द्वारा पैदा की गई हर वस्तु का दाम खुद तय करता है। लेकिन किसान ही एक वर्ग है इस देश में,कास्तकार ही एक ऐसा वर्ग है इस देश में जो अपने द्वारा पैदा किये गए गेहूँ का दाम तय नहीं कर पाता। अपने द्वारा पैदा किये गये बाजरे का दाम तय नहीं कर पाता। अपने द्वारा पैदा किये गये धान का दाम तय नहीं कर पाता। अपने द्वारा पैदा किये गये मक्के का दाम तय नहीं कर पाता। कुछ भी चीज पैदा करता है किसान, उसका दाम वो खुद तय नहीं कर पाता। सरकार तय करती है। जिस तरह से अंग्रेजों की सरकार करती थी वो काम आज भी हो रहा है। इसी तरह से अंग्रेजों की सरकार ने भारत के किसानों पर पाबंदी लगा रखी थी कि किसान एक जिले का माल दूसरे जिले में नहीं ले जायेगा। वैसी ही पाबंदी आज भी है। एक प्रदेश का पैदा किया हुआ अनाज दूसरे प्रदेश में नहीं जाता। उस पर पाबंदी लागरखी है सरकार ने। जिस तरह से अंग्रेजों की सरकार किसानों के ऊपर लगान वसूलती थी। टॅक्स वसूलती थी। अब उस तरह की चर्चा इस देश में फिर शुरु हो गई है। आजादी के पचास साल के बाद खेती पर तो लगान कुछ कम कर दिए सरकार ने। लेकिन Indirect तरीके से, अप्रत्यक्ष तरीके से किसानों की जेब काटना शुरु कर दिया सरकार ने। और किसानों की जेब कैसे काटती हैसरकार । अगर किसान कपास की खेती करता है और एक क्विन्टल कपास पैदा करने में उसका दो हजार रुपया खर्च होता है तो एक क्विन्टल कपास जब बेचने जाएगा किसान तो सरकार कहेगी 1800 रुपये दाम ले लो। 1900 रुपये दाम ले लो। बहुत अधिक आप सरकार के साथ झगड़ा करेंगे तो 2000 रुपये क्विन्टल का दाम देने को तैयार हो जायेगी। माने जिस कीमत पर आपकी कपास की फसल लग रही है वो ही कीमत स्वदेशी कृषि

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