Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 35
________________ आपको मिलेगी । मुनाफा कुछ नहीं होने देगी आपको। तो आपकी जेब ही काट रहे हैं ना या तो टॅक्स लगाकर आपकी जेब काटे या तो लगान वसुल कर आपकी जेब काटे या फिर आपके ऊपर पाबंदी लगाकर आपके दाम तय करने की नीति सरकार अपने हाथ में ले ले और आपको मुनाफा नहीं होने दे। तो यह एक तरह का टॅक्स ही है। किसानों के लिए और दूसरा तरीका क्या अपनाया हुआ है सरकार ने कि किसान जो कुछ पैदा करता है और जब बाजार में बेचने जाता है तो उसकी कीमत नहीं मिलती उसका दाम उसको नहीं मिलता। और उसके विपरीत किसान जो कुछ बाजार से खरीदता है उसकी कीमतें लगातार बढ़ती चली जाती हैं। अपनी खेती में डालने के लिए फर्टीलायजर लेता है खाद लेता है, अपनी खेती में डालने के लिए कीटनाशक ता है। अपनी खेती में डालने के लिए बीज लेता है। अपनी खेती में डालने के लिए और कोई चीज इस्तेमाल करनी हो किसान को जो बाजार से खरीदनी पड़े। तो उन सबके दाम तो बढ़ते चले जाते हैं। सौ टका दाम बढ़ जायेगा। दो सौ टका दाम बढ़ जायेगा। तीन सौ टका दाम बढ़ जायेगा। चार सौ टका दाम बढ़ जायेगा । पाँच सौ का दाम बढ़ेगा। लेकिन जो किसान बाजार में बेचने के लिए जायेगा कोई चीज तो उसका दाम नहीं बढ़ता। तो हमेशा खेती घाटे का सौदा रहती है। खेती में जो लगाते हैं वो निकलता नहीं और खेती में जितना लगाते हैं जब निकलता नहीं है तो किसान की खेती घाटे में आ जाती है और जब घाटे की खेती करना किसान शुरू करता है तो कर्जदार होता है। कई-कई से कर्ज लेता है या साहूकार से या बँकों से ले और कर्जदार हो जाता है। तो उसकी हालत और भी दयनीय हो जाती है। इस देश में ऐसे नियम और ऐसी व्यवस्थाएं चलाई गयी हैं । और कर्जा लेकर जब किसान खेती करता है तो उसके क्या नतीजे निकलते हैं। पिछले साल आंध् प्रदेश के 100 किसानों ने आत्महत्या की थी वो सबसे बड़ा उदाहरण है इस देश के सामने | 100 किसानों ने बँक से कर्जा लेकर कपास की फसल लगायी थी आंध प्रदेश में । उस कपास की फसल पर कीड़ा लग गया और कपास की फसल पर कीड़ा लग गया तो कीड़े को मारने के लिए किसान दवा लेके आये और दवा अंग्रेजी कंपनी की थी। परदेशी कंपनी की थी। उस दवा को उन्होंने खेत में छिड़का । उस दवा पर जितने निर्देश लिखे हुए थे सब अंग्रेजी में थे। किसान अंग्रेजी पढ़ना जानते नहीं तो दवा उन्होंने छिड़क दी खेत में। तो जो कपास की फसल बची हुई थी भी पूरी तरह से चौपट हो गई। तो किसानों के पास कुछ नहीं बचा। वो बँकों से स्वदेशी कृषि ३४

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