Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 36
________________ कर्जे के रुप में लिया था उसे वापस कर सके। बँक वाले आए अपना कर्जा मांगने के लिए। किसानों के पास कुछ नहीं था देने के लिए। तो किसानों ने क्या किया जो कपास की फसल पर कीड़ा मारने की दवा लेकर आये थे वहीं दवा उन्होंने खुद पी और सब के सब मर गए। ऐसे किसान आत्महत्या करते हैं। हिन्दुस्तान में पैंतालीस करोड़ छोटे किसान हैं जिनके पास दो बीघा की जमीन है। तीन बीघा की जमीन है। पाच बीघा की जमीन है। ऐसे पैंतालीस करोड़ किसान हैं। जरा उनकी आप कल्पना तो करिए कि पैतालीस करोड़ किसान आज की परिस्थितियों में किस तरह से खेती करते होंगे और किस तरह से कर्जदार बनते होंगे। और इस देश में कभी-कभी क्या होता है। गाँव का किसान कोई कर्जले लेता है। कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं होता और कभी-कभी वो कर्ज माफ कर दिया जाए तो पूरे देश में हंगामा हो जाता है। और हर साल हजारों करोड़ों रुपये का माफ किया जाता है पैसा बड़े-बड़े उद्योगों पर, बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज पर, इंडस्ट्रीज बैठजाती हैं, उद्योग बैठे जाते हैं। उनके पैसे डूब जाते हैं और बँक वाले कुछ नहीं कर पाते। और जब किसान के कर्जे की माफी की बात आती है तो हंगामा करते हैं। ___ पूरे देश में ऐसी व्यवस्था आज भी चल रही है। इस देश में किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। उनकी पैदा की गई फसल के दाम तय करने का अधिकार उनको नहीं मिल पाया है। जो कुछ खेत में लगाने के लिए बाजार से खरीदते हैं। उन सबके दाम बढ़ते चले जा रहे हैं। किसान जो कुछ पैदा करता है उसका उसको दाम नहीं मिल पा रहा है। बिजली का दाम बढ़ा दिया। पानी का दाम बढ़ा दिया। खाद का दाम बढ़ा दिया। जो सब्सिडी मिल सकती थी थोडी बहुत किसानों को गैट करार के बाद वो भी पूरी तरह से खत्म होती चली जा रही है। इस तरह से लगातार बर्बादी के रास्ते पर ही है। जिस तरहसे बर्बादी अंग्रेजों के जमाने में किसानों की आयी थी। वो ही बर्बादी आजादी के पचास साल के बाद भी है और इन बर्बादियों को बढ़ाने के लिए कुछ नये-नये कानून बनाए जा रहे हैं। जैसे अंग्रेजों की सरकार नये-नये कानून बनाती थी किसानों को बर्बाद करने के लिए। वैसे ही अब नये-नये कानून फिर किसानों को बर्बाद कराने के लिए बनाये जा रहे हैं। cocs . स्वदेशी कृषि

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