Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 40
________________ 1986 के साल में गैट की एक मीटिंग हुई और उस मीटिंग में अमेरिका और यूरोप के देशों ने यह कहना शुरु किया कि अभी हम सारी दुनिया के देशों में अपना माल बेचना चाहते है बहुत बड़े पैमाने पर । इसके लिए नियमों में बदलाव किया जाए। गैट के नियमों को बदल दिया जाए तो गैट के नियमों को बदलने के लिए अभियान शुरु हुआ। उस अभियान में अमेरिका के साथ यूरोप के भी बहुत सारे देश शामिल हुए तो पहले जो गैट नाम की संस्था और उसका नियम चलता था। उसको पूरी तरह से बदल दिया गया और जिस व्यक्ति ने इसके नियमों का बदलाव किया उसका नाम था आर्थर डंकल । वो उस समय गैट का महानिदेशक था । तो आर्थर डंकल ने नये नियम बना दिये और नये नियम बनाकर दुनियां के तमाम देशों के सामने रखे कि अभी आपको गैट में शामिल होना है तो इन नए नियमों को मानना पड़ेगा और वो नियम अमेरिका के हित में बनाए गये थे । यूरोप के हित में बनाए गये थे। तो जब नये नियम बनाना शुरु किया। तो डंकल ने जिस तरह के नियम बनाये और वो ड्राफ्ट तैयार किया। तो उस ड्राफ्ट का नाम पड़ गया 'डंकल ड्राफ्ट', 'डंकल प्रस्ताव' । डंकल प्रस्ताव को दुनिया के तमाम देशों के सामने पेश किया गया। या तो उसके बनाये गये नए ड्राफ्ट को, नए नियम को पूरी तरह से स्वीकार करिए या उसको पूरी तरह से रिजेक्ट कर दीजिए। और यदि आप रिजेक्ट कर देगें तो गैट के मेम्बर नहीं रहेंगे। स्वीकार करेंगे तो नए नियम आपके देश का नुकसान करेंगे। ऐसी स्थिति आ गई भारत के सामने । तो उस समय जो भारत की सरकार थी 1986-1987 के साल में उस सरकार ने पूरी तरह से घोषणा कि हम गैट करार को मानेगें नहीं और फिर भारत के ऊपर दबाव पड़ना शुरु हुआ अमेरिका की तरफ से। यूरोप की तरफ से । तो भारत सरकार ने एक काम किया कि भारत के कुछ सचिवों की समिति बनायी और उस समिति को यह कहा गया कि आप इसका अध्ययन करिए। तो भारत सरकार के कुछ सचिवों ने उसका अध्ययन किया। प्राथमिक स्तर पर उसमें से नतीजा यह निकला कि गैट करार अच्छा नहीं है। देश के लिए बहुत खराब है। बाद में भारत सरकार ने हमारे देश के कुछ मेम्बर ऑफ पार्लियामेन्ट को लेकर एक समिति बनाई थी गैट करार का अध्ययन करने के लिए। और उस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था श्री. इंद्रकुमार गुजराल को। तो इंद्रकुमार गुजराल की अध्यक्षता वाली समिति ने भारत सरकार को जो रिपोर्ट पेश की। उस रिपोर्ट में पूरी तरह से कहा उन्होंने कि यह गैट करार बिलकुल भी देश के हित में नहीं है । इसको पूरी तरह से रद्द कर देना चाहिए। इसको पूरी तरह से रिजेक्ट कर देना चाहिए । स्वदेशी कृषि ३९

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