Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 57
________________ से बाहर निकल आये तो यह गैट नाम की संस्था ही रद्द हो जायेगी, डूब जायेगी, बाढ़ में चली जायेगी और हम सब की जान बच जायेगी। फिर हम क्या कर सकते है? जो देश इसमें से बाहर निकलेंगे उन सब देशों के साथ मिलकर फिर से कोई एक नया ऍग्रीमेन्ट हम कर सकते हैं, जो हमारे देश के हित के अनुकूल हो। उन देशों के भी हित में हो; हमारे किसानों के फायदे में हो, हमारे उद्योगपतियों के फायदे में हों, दूसरे देशों के भी किसानों के फायदे में हो, उनके भी उद्योगपतियों के फायदे में हो; एक नया ऍग्रीमेन्ट फिर कर सकते हैं। यह ऍग्रीमेन्ट कभी अंग्रेजों ने किया था अमेरिकियों के साथ मिलकर; तो जरुरी तो नहीं है कि वो ही परमानन्ट हो गया; अभी कोई दूसरा ऍग्रीमेन्ट हो सकता है, तो हम लोग दो ही बातें सरकार को कह रहे हैं। या तो आप इसमें से बाहर निकलो और बाहर निकलो तो दूसरे तमाम देशों को बाहर निकलने का रास्ता बताओ और एक नया ऍग्रीमेन्ट साईन करो। सभी देशों के साथ मिलकर या इस गैट ऍग्रीमेन्ट की शर्तों को बदलवाओ कि यह शर्ते देश के हित में नहीं है, ना किसानों के हित में हैं, ना उद्योगों के हित में है, ना व्यापारियों के हित में हैं, किसी के हित में नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट में जाकर हम यह सिद्ध करेगें कि यह जो गैट करार नाम का पूरा का पूरा दस्तावेज है; वो संविधान विरोधी है और आप जानते हैं कि हमारे देश में कोई भी सरकार संविधान विरोधी एक भी काम नहीं कर सकती। किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वो संविधान विरोधी कार्य करे या कोई निर्णय ले। मैंने आपको बताया कि हमारे देश में अब तक यह गोल्डन रुल चलता रहा है कि अगर कोई अन्तर्राष्ट्रीय कानून देश के कानूनों के हित के खिलाफ है तो देश का कानून जिन्दा रहेगा। अन्तर्राष्ट्रीय कानून भारत में नहीं लागू होगा। लेकिन अभी गैट करार शुरु होने के बाद क्या होने जा रहा है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून लागू होगा तो हमारे देश का कानून जिन्दा नहीं रहेगा। तो इसका माने कॉन्ट्रा कॉन्स्टीटयुशनल है यह ऍग्रीमेन्ट और इसके होने के बाद हमारे देश की सरकारों के कानून बनाने के अधिकार खत्म होते हैं। केन्द्र सरकार जो कानून बना सकती है वो अधिकार खत्म होते हैं। राज्य सरकारें जो विधानसभा में कानून बना सकती हैं उसके अधिकार खत्म होते हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों के कानून बनाने के अधिकार अगर खत्म होते हैं तो हमारी पॉलीटिकल सावरेनिटी खत्म होती है, राजनैतिक सम्प्रभुता खत्म होती है, और संविधान में राजनैतिक सम्प्रभुता का बहुत बड़ा महत्व है। और तीसरी बात जो हम कहने वाले हैं कि हमारे यहाँ संविधान में फेड्रल स्ट्रक्चर की बात कही गई है। राज्य के और केन्द्र के संबंध है जो फेड्रलिज्म के आधार पर है। यह जो स्वदेशी कृषि

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