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पहले बताये गये तरीके से इकट्ठा करें। इस तरह खाद बनाने का काम निरंतर जारी रख सकते हैं। बचाव-धूप, बारिश और पक्षियों से बचाने के लिये छत घास-फूस आदि अवश्य होना चाहिये। मेढक, साँप, मुर्गी, चीटियों से भी रक्षा करनी चाहिए। बेड सूख गया तो दीमक आकर केंचुओं पर हमला करते हैं।
खाद का उपयोग
बीज बोते समय बीजों के साथ इसे बो सकते हैं या अलग से भी दे सकते हैं। प्रचुर मात्रा में नत्र-स्फूरद-पलाश और सूक्ष्म द्रव्य इस खाद में पाये जाते हैं। गोशालाओं में खाद बनाने के लिये केंचुआ खाद बनाना अधिक सुविधाजनक है। 10.छांछ-दूध-गुड़
पानी में मिलाकर अलग से छांछ-दूध-गुड़ का छिड़काव करने से फसल को लाभ होता है, ऐसा किसानों का अनुभव है। इन तीनों को अलग-अलग छिड़कने से लवण-सूक्ष्म द्रव्य प्राप्त होते हैं। 11.गोमूत्र का छिड़काव
गोमूत्र खाद-दवा दोनों का काम करता है। गोमूत्र तीन बार फसल केजीवनक्रम में छिड़कने से खाद-सूक्ष्मद्रव्यों की पूर्ति होती है। फसल की प्रथमावस्था में 5 प्रतिशत गोमूत्र पानी में मिलाकर और बाद में 10 प्रतिशत गोमूत्र फसल की बढ़ोत्तरी के समय और 10 प्रतिशत फूलने-फलने के पूर्व छिड़कें।
गोमूत्र के रासायनिक संगठनगोमूत्र के मुख्य तत्व निम्न हैं
1. नाइट्रोजन (नत्रजन) 2. सल्फर (गंधक) 3. अमोनिया 4. अमोनिया गैस 5. कॉपर 6. पोटैशियम 7. मैंगनीज 8. यूरिया 9. सॉल्ट 10. आरोग्यकारक अम्ल 11. कैल्शियम 12. जल 13. आयरन-लौह 14. यूरिक एसिड 15. फॉस्पफेट 16. सोडियम 17. कार्बोनिक एसिड 18. विटामिन ‘ए , बी , सी, डी, ई' 19. अन्य मिनरल 20. दूध देती गाय के मूत्र में लेक्टोज 21. एन्जाइम्स 22. हिम्यूरिक एसिड 23. स्वर्ण क्षार।
गोमूत्र से आसव, अर्क, बटी बनाकर कई मानवी रोगों का ईलाज होता है। 12.गोबर गैस प्लांट -
खाद, जलावन, प्रकाश और ऊर्जा-इन चारों में गोबर गैस प्लांट की उपयोगिता है। जनता यादीनबन्ध, ये दो प्रकार के गैस प्लांट आसान और कम खर्चीले हैं। दो
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स्वदेशी कृषि