Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 67
________________ सोयाबीन खिलाया जाता है तो सोयाबीन की जरुरत है डुक्कर को, वहाँ के डुक्कर खाते हैं सोयाबीन, ताकि उनका मांस बढ़े और फिर लोग उनके मांस को खाते हैं। लेकिन वहाँ प्रॉब्लम क्या हुई है। यूरोप के जिन-जिन देशों में सोयाबीन की खेती ज्यादा से ज्यादा करवाई डुक्करों को खिलाने के लिए उन सब देशों की खेती बर्बाद हो गई जमीन खराब हो गई, क्योंकि सोयाबीन की फसल लगातार आप लेते चले जायेंगे तो जमीन के सारे पोषक तत्वों की जो शक्ति होती है वो नष्ट हो जाती है। तो सोयाबीन की खेती जिन-जिन यूरोप के देशों में की गई थी उन सब देशों में खेती सत्यानाश हो गई-जमीन चौपट हो गई-मिट्टी बर्बाद हो गई, तो अब उन देशों ने क्या किया कि अपने देश में सोयाबीन पैदा करना बंद कर दिया। सबसे ज्यादा खेती बर्बाद हुई है सोयाबीन कर-कर के हॉलैण्ड की, तो हॉलैण्ड की सरकार ने क्या फैसला किया कि अब हम सोयाबीन नहीं करेंगे अपने देश में, क्योंकि हमारा खेत बर्बाद होता है तो सोयाबीन वो तो अपने देश में नहीं करते। भारत में ला के उन्होंने पटक दिया और हमारे किसानों को कह रहे हैं कि तुम सोयाबीन पैदा करो। ताकि हमारे खेत बर्बाद हो जायें उनके खेत सुरक्षित बने रहें। और हमारे यहाँ जानते है, ये सोयाबीन जो होता है उसका क्या किया जाता है? जो सोयाबीन पैदा होता है। उसका पूरा तेल निकाल लेते हैं। बची हुई जो खली होती है वो यूरोप में बेच देते हैं। माने उनके डुक्करों के लिए हम अपने खेत बर्बाद कर रहेहैं और किसानों को कैसे बेवकूफ बनाया जा रहा है। कह रहें है बड़ी भारी कैश क्रॉप है ये कैश क्रॉप के चक्कर में अगर आप और दो-पाँच साल फंसे रहे तो मैं आपको चेतावनी दे सकता हूँ गारंटी दे सकता हूँकि आपकी मिट्टी में फिर कुछ नहीं होगा पाँच साल के बाद, इसलिए मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि सोयाबीन की खेती करना तत्काल बंद कर दे। ये सोयाबीन की खेती का पूरे भारत के गाँव-गाँव के किसानों का, गाँव-गाँव के किसानों के द्वारा सोयाबीन की खेती करना ये विदेशीकरण की निशानी है की खेती के विदेशीकरण की निशानी है। ___ एक दूसरी बात और बता दूं कि एक बहुत बड़ा भ्रामक प्रचार पूरी दुनिया में चल रहा है कि सोयाबीन में बहुत बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। सोयाबीन में जो भी प्रोटीन होता है वो कभी-भी पचता नहीं है आदमी के शरीर में। बिल्कुल किसी काम में नहीं आता। आप जानते हैं, मूंग की दाल में भी बहुत प्रोटीन होता है, उड़द की दाल में भी होता है, तुअर की दाल में होता है, तो मूंग की दाल में,उड़द की दाल में, तुअर की दाल में जो प्रोटीन होता है वो खाने के बाद शरीर में डायजेस्ट हो जाता है और काम में आ जाता है शरीर के। सोयाबीन खाने के बाद जो प्रोटीन निकलता है वो कभी-भी शरीर में काम नहीं आता, कभी-भी डायजेस्ट नहीं होता स्वदेशी कृषि ५ ५ ........................... ....... ............ .. ................... .. - -...........

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