Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 88
________________ फूल लगने के पहले इस नवधान्य फसल को काटकर वहीं छोड़ दें या जुताई करके जमीन में मिला दें। यह धीरे-धीरे गलकर खाद की पूर्ति करेगी। जीवाणु और फसल दोनों का पोषण करके भूमि को उर्वर सशक्त बनायेगी। फी एकड़ सौ-सवा सौ रुपया बीज का खर्च आयेगा। 8. अमृत पानी___ एक एकड़ (43560 वर्ग फुट) जमीन की खाद की पूर्ति करने के लिये दस किलो देशी गाय का गोबर, आधा किलो शहद (मधु) के साथ खूब मलने के बाद उसमें दही से निकाला पाव किलो देशी गाय का घी मिलाकर खूब मलिये। इन तीनों के मिश्रण का दो सौ लीटर पानी में घोल तैयार करें। बआई के ठीक पहले गीली जमीन पर इस मिश्रण का छिड़काव एक एकड़ जमीन पर करें। जमीन कमजोर हो तो फिर एक माह बाद फसल के दो कतारों के बीच गीली जमीन पर इस घोल का छिड़काव करें और पानी चला दें। अथवा पानी देते समय इतना घोल पूरे एक एकड़ में फैल जाय, इस हिसाब से धीरे-धीरे पानी की धारा में छोड़ दें।हर फसल में और हर प्रकार के जमीन में यह फायदेमंद साबित हुआ है। इससे भूमि उर्वर बनती है। फसल में मिठास आती है।केंचुए एवं अन्य जीवाणु आकर्षित होते हैं। महाराष्ट्र में सैकड़ों किसानों ने इस पद्धति को अपनाकर गन्ना अंगूर-केले आदि फसलों में अनाज और साग-सब्जी में अत्यधिक उत्पादन लिया 9. केंचुओं द्वारा खाद(1) केंचुए जमीन से प्राप्त पान-पत्ती-अधपकी खाद, गोबर, कीटकों के अवशेष, मुरुम-मिट्टी खाकर गुजारा करते हैं। गोबर-कचरा को पचाकर बचा हिस्सा छोटी गोलीनुमा आकार में विष्ठा के रूप में बाहर आता है। केंचुओं के पेट में चल रही रासायनिक प्रक्रिया के कारण मूलतः सेंद्रिय खाद्य पदार्थों में उपलब्ध स्फूरद, पलाश, कैल्शियम एवं अन्य सूक्ष्म तत्व विष्ठा में मिलते हैं। नत्र की मात्रा सात गुना, स्फूरद 11 गुना और पलाश 13 गुना बढ़कर प्राप्त होते हैं। विटामिन, एंजाइम्स एण्टी बायोटिक और संजीवकों की प्राप्ति यानि सर्वगुणसंपन्न खाद की खदान ही है। (2) किसान के ये दोस्त भूमि के अंदर छोटे-छोटे बिल बनाकर उसे सछिद्र करते हैं जिससे जमीन के अंदर हवा का प्रवेश और पानी का संग्रह होता है और भूमि स्वस्थ रहती है। . . . . . " स्वदेशी कृषि............................... ८७

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