Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 55
________________ shall not and be for the expiration of period of 20 year counted from the file in date. माने किसी कम्पनी को जिस दिन पेटेन्ट मिला उससे लगातार बीस साल तक उस कम्पनी का पेटेन्ट अधिकार होगा। माने किसी एक कम्पनी को मान लीजिए RR-21 गेहूँ की प्रजाति पर पेटेन्ट मिल गया तो पूरे 20 साल तक उस कम्पनी को ही अधिकार होगा RR-21 बीज बनाकर बेचने का। बाकी किसी को नहीं होगा 20 साल तक। आप सोचिये 20 साल में तो एक पीढ़ी जवान हो के खत्म हो जाती है। एक पीढ़ी चली जाती है, गुजर जाती है। फिर आप क्या कर सकते कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि राजीव भाई हम भी तो पेटेन्ट करा सकते हैं। हिन्दुस्तान का 45 करोड़ किसान तो गरीबी की रेखा के नीचे जीता है वो पेटेन्ट का एप्लीकेशन कैसे फाईल करेगा? लाखों डॉलर चाहिए पेटेन्ट एप्लीकेशन करने के लिए, कहाँ से लायेगा वो बिचारा। रोज दो समय की रोटी खाने को उसको मुश्किल हो जाती है वो पेटेन्ट एप्लीकेशन फाईल करने के लिए पाँच लाख डॉलर चाहिए, कहाँ से लायेगा। यह तो बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ ही करने वाली हैं। और बीज पर पूरी तरहसे बड़ी कम्पनियों का अधिकार हो जायेगा। हमारे बाजारों में परदेशी अनाज बिकना शुरु हो जायेगा। किसानों को मिलने वाली जो छोटी-मोटी सब्सिडी थी। वो भी पूरी तरह से खत्म हो जायेगी। तो आप सोचिये खेती का तो और सत्यानाश हो जायेगा। किसान तो और बर्बाद हो जायेगें। अब इसमें से आप यह प्रश्न पूछ सकते हैं कि राजीव भाई इसमें से बाहर निकलने का कोई रास्ता है क्या? अभी सरकारों ने तो यह कर दिया है करार। अब इसमें से बाहर निकलने का कोई रास्ता है क्या? हमारी खेती जो बर्बाद हो रही है। 'उस खेती को सुधारने का कोई रास्ता है? और वो रास्ता इसी गैट करार में लिखा हुआ है। और क्या लिखा हुआ है। इसी गैट करार का जो सबसे पहला चैप्टर है जिसके बारे में मैंने आपको पढ़कर सुनाया था। उसी चैप्टर में बिल्कुल साफ-साफ लिखा हुआ है,मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूँताकि किसी को गलत फहमी ना हो। बहुत बार यह चर्चा होती है पूरे देश में कि अब क्या करें हम तो गैट करार में फंस गये हैं सरकार ने तो समझौता कर लिया है अब हम इसको रद्द नहीं कर सकते इसमें से बाहर नहीं आ सकते बिल्कुल साफ-साफ गैट करार में लिखा हुआ है कि कोई भी सरकार इस गैट करार के समझौते को रद्द कर सकती है। और कोई भी सरकार इस गैट करार में से बाहर निकल सकती हैकैसे? इसमें बिल्कुल साफ-साफ लिखा हुआ है"आर्टीकल नं. 15 पेज नं. 9 और पहला अध्याय गैट करार का वो क्या कहता है स्वदेशी कृषि

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