Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 32
________________ अंग्रेजों की सरकार ने भारत की खेती को बर्बाद किया था। जिन नीतियों के कारण भारत के किसान को बर्बाद किया गया था। जिन नीतियों और जिन कानूनों के चलते भारत के किसान की बर्बादी आयी थी। भारत की खेती बर्बाद हई थी। वो सारी की सारी नीतियां वो सारे के सारे कानून आज भी चल रहे हैं। उदाहरण के लिए जो 'लेण्ड एक्यूजीशनस एक्ट 'अंग्रेजों ने बनाया वो आज आजादी के पचास साल के बाद भी चलता। जो 'इंडियन फॉरेस्ट एक्ट' अंग्रेजों ने बनाया था वो आज आजादी के पचास साल के बाद भी चलता है। जो कानून अंग्रेजों ने बनाया किसानों के पैदा किये हुए अनाज का दाम तय करने के लिए वो कानून इस देश में आज भी चलता है। बस फरक इतना है कि पहले गोरे अंग्रेज उस कानून को चलाते थे। अब काले अंग्रेज उस कानून को चलाते हैं और आज भी इस देश में ठीक उसी तरहसे किसानों की जमीनें छीनी जाती हैं। जिस तरीके से अंग्रेजों के जमाने में छीनी जाती थीं। अंग्रेजों के जमाने में जमीन कैसे छीनी जाती थी। एक कलेक्टर नाम का ऑफीसर अंग्रेजों ने बनाया। सन 1860 में एक कानून बनाया अंग्रेजों ने 'इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट' और इस'इंडियन सिविल सर्विसेस एक्ट' के नाम पर कलेक्टर नाम की पोस्ट बनवायी और उस कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया कि वो गाँव-गाँव के किसानों को मार-पीट कर, उनके ऊपर अत्याचार करके, रेवेन्यूवसूले,लगान वसूले गाँव-गाँव में कलेक्टर क्या करता था कि जब किसान लगान नहीं दे पाता था तो उसकी जमीन सीज कर लेता था। उसकी संपत्ति सीज कर लेता था। उसके लिए एक नोटिस जाता था किसान को और उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती थी। तो जिस तरह से संपत्ति जब्त कर ली जाती थी। किसान की और उनकी जमीन छीन ली जाती थी। ठीक उसी तरह से आज भी इस देश में होता है। अब क्या होता है। कलेक्टर कभी नोटिस देता है। गाँव के किसान की जमीन छीन ली जाती है। वो किसान को यह अधिकार भी नहीं होता है कि वह अपनी जमीन के बारे में कहीं कोई केस लड़ सके। जिरह कर सके। क्योंकि कानून ऐसा है अंग्रेजों के जमाने का बनाया हुआ कि सरकार इमरजेंसी बताकर किसी भी गाँव के किसी भी किसान की कोई भी जमीन छीन सकती है। मान लीजीए सरकार को किसी भी जमीन पर कारखाना बनवाना है और गाँव का किसान वो जमीन देना नहीं चाहता तो सरकार जबरदस्ती नोटिस इश्युकरवाएगी कलेक्टर के माध्यम से तो गाँव/किसान की वो जमीन छीन ली जाएगी। फिर गाँव के किसान को मजबूरी में कुछ औना-पौना स्वदेशी कृषि . ३१

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