Book Title: Gau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 19
________________ से होने वाली खाद है। गाय का मूत्र है। उससे बनने वाले जो कीटनाशक बन सकते हैं इस देश में उनकी परम्परा रही है। तो भारतीय कृषि इस तरीके से बहुत उन्नति के रास्ते पर जाती रही है। क्योंकि पशुओं की संख्या बहुत, तालाबों की संख्या बहुत, जमीन की अच्छाई बहुत है। मिट्टी बहुत नरम है। किसानों को जल वायू का बहुत अच्छा ज्ञान है। यहाँ पर बीजों की संख्या भी बहुत अच्छी रही है। हमारे देश में आज से 150-200 साल पहले तक चावल की, धान की, एक लाख से ज्यादा प्रजातियां होती थी। जो दस्तावेज उपलब्ध हैं वो बताते हैं कि भारत के किसानों के पास एक लाख से ज्यादा चावलों की किस्में होती थी। इस देश में सैकड़ों किस्म के बाजरे के बीज थे। सैकड़ों किस्म के मक्के के बीज थे। सैकड़ों किस्म के ज्वारी के बीज थे। सैकड़ों किस्म की प्रजातियाँ इस देश में रही हैं अनाजों की और यहाँ की सम्पन्नता बहुत ज्यादा रही है। बायोडायवर सिटी यहाँ की बहुत ऊँची रही है। तो इसलिए कृषि कर्म भी ऊँचा रहा है इस देश का। आज करीब हमारे देश में 300 साल पहले के आँकड़े हैं जो बताते हैं कि ब्रिटेन से तीन गुणा ज्यादा उत्पादन हमारे खेतों का है। आँकड़े यह बताते हैं कि कृषि कर्म इस देश का बहुत उन्नत रहा है। पशुओं के पालन के काम भी बहुत उन्नत रहे हैं। तो अचानक से क्या हो गया इस देश में जो आज इस देश का किसान सब से गरीब दिखाई देता है ? अचानक से क्या हो गया इस देश में कि आज इस देश की खेती ही सबसे ज्यादा बर्बादी के रास्ते पे जाती हुई दिखाई देती है ?अचानक से क्या हो गया इस देश में जो आज इस देश के खेती और किसानों की बर्बादी की स्थिति हमको चारों तरफ दिखाई देती है ? उसके पीछे एक गंभीर कारण हैं। अंग्रेजों का भारत में आना और अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनी सरकार का चलाना। अंग्रेजों की सरकार जब भारत में चलना शुरु हुई है तो अंग्रेजों की सरकार ने बहुत ही व्यवस्थित तरीके से भारतीय समाज को तोड़ने का काम किया। मैंने कल के व्याख्यान में आपको बताया था कि अंग्रेजों की सरकार ने भारत को व्यवस्थित तरीके से तोड़ने का जो काम किया उसके लिए उन्होंने जो नीतियां बनायी थी उसमें सबसे पहली नीति यह थी कि भारतीय समाज को आर्थिक रुप से पूरी तरहसे तोड़ दिया जाए और जब भारतीय समाज आर्थिक रुपसे बर्बाद हो जाएगा तो फिर भारतीय समाज को राजनैतिक रुप से तोड़ दिया जाए और जब भारतीय समाज राजनैतिक रुप से टूट जायेगा। तो फिर भारतीय समाज को सांस्कृतिक और सामाजिक रुप से तोड़ दिया जाए। १८ स्वदेशी कृषि

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