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गणितानुयोग : भूमिका
ताराओं के दर्शन होते हैं और उनसे प्रकाश मिलता है। इनमें पृथ्वी के सबसे अधिक समीप चन्द्रमा है, जो इस भूमण्डल से लगभग अढाई लाख मील दूर है। यह पृथ्वी के समान ही एक
है जो पृथ्वी से बहुत छोटा है और उसी के चारों ओर घूमा करता है, जिससे हमारे यहां शुक्ल और कृष्ण पक्ष होते हैं । चन्द्रमा में स्वयं प्रकाश नहीं है, किन्तु वह सूर्य के प्रकाश से प्रका शित होता है, इसलिए अपने परिभ्रमण के अनुसार घटता-बढ़ता दिखाई देता है । अनुसन्धान से ज्ञान हुआ है कि चन्द्रमा बिल्कुल ठंडा हो गया है और पृथ्वी के गर्भ के समान अब उसमें अग्नि नहीं है । उसके आस-पास वायुमण्डल भी नहीं है और न उसके घरातल पर जन ही है। इन्हीं कारणों से वहां स्वासोच्छ्वास प्रधान प्राणी और वनस्पति उपलब्ध नहीं हैं। वहां पर्वत तथा कन्दराओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं है । अनुमान किया जाता है कि चन्द्रमा पृथ्वी का ही एक भाग है, जिसे टूटकर अलग हुए पांच-छह करोड़ वर्ष हुए हैं।
२ - चन्द्र का क्षेत्रफल आदि
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इन ग्रहों से पृथ्वी से लगभग साढ़े नौ करोड़ मील की दूरी पर सूर्य मण्डल है, जो पृथ्वी से लगभग पन्द्रह लाख गुना बड़ा है, अर्थात् पृथ्वी के समान लगभग पन्द्रह लाख भूमण्डल उसके गर्भ में समा सकते हैं । सूर्य का व्यास ८६०००० मील है। यह महाकाय सूर्य मण्डल अग्नि से प्रज्वलित है और उसकी ज्वाला लाखों मील तक उठती हैं । सूर्य की ज्वाला से करोड़ों मील विस्तृत सौर मण्डल भर में प्रकाश और उष्णता फैलती है। सूर्य के धरातल पर १०००० फारेनहीट गर्मी है । जेम्स जीन्स वैज्ञानिक का मत है कि इसी सूर्य की विप्रिता से पृथ्वी, बुध, बृहस्पति आदि ग्रह और उनके उपग्रह बने हैं, जो सब अभी तक उसके आकर्षण से निबद्ध होकर उसी के आस-पास घूम रहे हैं । हमारा भूमण्डल सूर्य की परिक्रमा ३६५ दिन में तथा प्रति चौथे वर्ष ३६६ दिन में पूरी करता है और इसी के आधार पर हमारा वर्ष-मान अवलम्बित है । इसी परिभ्रमण में पृथ्वी निरन्तर अपनी कीली पर ६० हजार मील प्रति घण्टे के हिसाब से घूमा करती है, जिसके कारण हमारे यहां दिन और रात्रि हुआ करते हैं । चन्द्र व्यास --- २१६० मील, या ३४५६ किलोमीटर, पृथ्वी का जो गोलार्धं सूर्य के सम्मुख पड़ता है, वहाँ दिन और पृथ्वी का चतुर्थभाग
शेष गोलार्ध में रात्रि होती है। वैज्ञानिकों का यह भी मत है कि ये पृथ्वी आदि ग्रह और उपग्रह पुनः सूर्य की ओर आकृष्ट हो रहे हैं।
आज के वैज्ञानिकों ने चन्द्र के विषय में जो तथ्य संकलित किये हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
चन्द्र की परिधि - १०८६४ किलोमीटर,
चन्द्र की पृथ्वी से दूरी २६११७१ किलोमीटर,
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चन्द्र का तापमान - ११७ सेन्टीग्र ेड, जब सूर्य सिर के ऊपर हो,
चन्द्र का रात में तापमान - १३७ सेटीग्र ेड चन्द्र सतह में गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का छठा अंग पृथ्वी पर जिस वस्तु का वजन २७ किलो है, उसका चांद पर ४५ किलो है । चन्द्रविस्तार या विम्ब पृथ्वी का १०० वां अंश है, और उसका आयतन पृथ्वी के आयतन का वां भाग है।
चन्द्रमा की गति ३६६६ किलोमीटर प्रति घण्टा है । चन्द्र को पृथ्वी की एक परिक्रमा करने २७ दिन ७ घण्टे और ४३ मिनट लगते हैं, क्योंकि वह लगभग इसी गति से अपनी धुरी पर घूमता है ।
शित होते हैं। इन ग्रहों में से किसी में भी हमारी पृथ्वी के समान जीवों को संभावना नहीं मानी जाती है, क्योंकि वहाँ की परि स्थितियां जीवन के साधनों से सर्वथा प्रतिकूल हैं ।
चन्द्रमा से परे क्रमशः शुक्र, बुध, मंगल, बृहस्पति और शनि आदि ग्रह हैं। ये सब पृथ्वी के समान हो भूमण्डल वाले हैं और सूर्य की परिक्रमा किया करते हैं, तथा सूर्य के ही प्रकाश से प्रका
ऊपर जिस महाकाय सूर्य मण्डल का उल्लेख किया गया है। उसकी बराबरी का अन्य कोई भी ज्योतिमंण्डल आकाश में दिखाई नहीं देता । किन्तु इससे यह नहीं समझना चाहिए कि उन अति लघु दिखाई देने वाले तारों में सूर्य के समान कोई एक भी नहीं है। वस्तुतः हमें जिन तारों का दर्शन होता है, उनमें सूर्य से छोटे एवं सूर्य की बराबरी वाले तारे तो बहुत थोड़े हैं । उनमें अधिकांश तो सूर्य से भी बहुत विशाल हैं, तथा उससे सैकड़ों, हजारों लाखों गुने बड़े हैं किन्तु उनके छोटे दिखाई देने का कारण यह है कि वे हम से सूर्य की अपेक्षा बहुत अधिक दूरी पर हैं । ज्येष्ठा नक्षत्र इतना विशाल है कि उसमें ७००,००,००, ००,००,००० पृथिवियाँ सभा जायें ।
३ - प्रकाशवर्ष
तारों की दूरी समझने के लिए हमारे संख्या वाचक शब्द काम नहीं देते । उनकी गणना के लिए वैज्ञानिकों की दूसरी ही विधि है । प्रकाश की गति प्रति सेकिण्ड एक लाख छयासी हजार