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लोक-प्रज्ञप्ति
ऊवं लोक : लोकान्तिक देव विमानों का प्ररूपण
सूत्र २६
लोगंतिय देवविमाणाणं परूवणं
लोकान्तिक देव विमानों का प्ररूपण२६. एयसिणं अट्ठण्हं कण्हराईणं अट्ठसु ओवासंतरेसु अट्ठलोगतिया २६. इन आठ कृष्ण राजियों के आठ अवकाशों के बीच में विमाणा पण्णत्ता; तं जहा
आठ लोकान्तिक विमान कहे गये हैं, यथा१. अच्ची, २. अच्चिमाली, ३. वइरोयणे, ४. पभंकरे, (१) अर्ची, (२) अचिमाली, (३) वैरोचन, (४) प्रभंकर, ५. चंदाभे, ६. सूराभे, ७. सुक्काभे, ८. सुपतिढाभे, ६. मज्झे (५) चन्द्राभ, (६) सूर्याभ, (७) शुक्राभ, (८) सुप्रतिष्ठाभ, मध्य रिट्ठाभे।
में (6) रिष्टाभ। ५०-कहि णं भंते ! अच्ची विमाणे पण्णत्ते ?
प्र०-भगवन् ! अर्ची विमान कहाँ कहा गया है ? उ०-गोयमा ! उत्तर-पुरस्थिमेणं ।
उ०-गौतम ! उत्तर-पूर्व (ईशानकोण) में कहा गया है । प०–कहि णं भंते ! अच्चिमाली विमाणे पण्णत्ते ? प्र०-भगवन् ! अचिमाली विमान कहाँ कहा गया है ? उ०-गोयमा ! पुरथिमेणं ।
उ०-गौतम ! पूर्व दिशा में कहा गया है। एव परिवाडीए नेयव्व-जाव- ।
इस परिपाटी से जानना चाहिए-यावत् - ५०-कहि णं भंते ! रिट्ठ विमाणे पण्णत्ते ?
प्र०-भगवन् ! रिष्ट विमान कहाँ कहा गया है ? उ०-गोयमा ! बहुमज्झ देसभागे।
उ०—गौतम ! कृष्णराजियों के मध्य भाग में कहा गया है। एएसु णं अट्ठसु लोगंतियविमाणेसु अट्टविहा लोगंतिया इन आठ लोकान्तिक विमानों में आठ प्रकार के लोकान्तिक देवा परिवसंति, तं जहा
देव रहते हैं। यथासंगहणी गाहा
संग्रहणी गाथा१२. सारस्सयमाइच्चा,
(१) सारस्वत, (२) आदित्य, (३) वन्ही, (४) वरुण, ३. वण्ही, ४. वरुणा य, ५. गद्दतोया य । (५) गर्दतोय, (६) तुषित, (७) अव्याबाध, (८) आग्नेय, (मरुत), ६. तुसिया, ७. अव्वाबाहा,
() रिष्ट । ८. अगिच्चा चेव, ६. रिट्ठा य ॥ प०-कहि णं भंते ! सारस्सया देवा परिवसंति ?
प्र०-भगवन् ! सारस्वत देव कहाँ रहते हैं ? उ०-गोयमा ! अच्चिम्मि विमाणे परिवसंति ।
उ०-गौतम ! अर्ची विमान में रहते हैं। प०-कहि णं भंते ! आदिच्चा देवा परिवसंति ?
प्र०-भगवन् ! आदित्य देव कहाँ रहते हैं ? उ०-गोयमा ! अच्चिमालिम्मि विमाणे परिवसंति । उ०—अचिमाली विमान में रहते हैं। एवं णेयव्वं जहाणुपुव्वीए-जाव ।
इस प्रकार यथानुक्रम से जानना चाहिए-यावत्प०-कहि णं भंते ! रिट्ठा देवा परिवसंति ?
प्र०-भगवन् ! रिष्ट देव कहाँ रहते हैं ? उ०-गोयमा ! रिटुम्मि विमाणे ।
उ०-गौतम ! रिष्ट विमान में रहते हैं । ५०-सारस्सयमादिच्चाणं भंते ! देवाणं कति देवा, कति प्र०-भगवन् ! सारस्वत और आदित्य देव कितने सौ देव देवसया पण्णता?
कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! सत्त देवा सत्त देवसया परिवारो पण्णत्तो। उ०—गौतम ! सात देव और सात सौ देव परिवार कहे
गये हैं। वण्ही-वरुणाणं देवाणं चउद्दस देवसहस्सा परिवारो वन्ही और वरुण देवों के चौदह देव तथा चौदह हजार देव पण्णत्तो।
परिवार कहे गये हैं। गद्दतोय-तुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्तदेवसहस्सा गर्दतोय और तुषित देवों के सात देव तथा सात हजार देव परिवारो पण्णत्तो।
परिवार कहे गये हैं। अवसे साणं णव देवा नव देवसया परिवारो पण्णत्तो। अवशेष देवों के नौ देव तथा नौ सौ वेव परिवार कहे
गये हैं।