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२२४.
लोक-प्रज्ञप्ति
सहं हं हं एवं तं चैव पुत्रवयिंजाब-विहरति दिशाकुमारियाँ अपने-अपने तं जहा - गाहाकहें रहती है के नाम
१. दुसरा य ३. आणंदा,
५. विजया य ७. जयंती,
दाहिणव्यवस्थाओं अट्ठ दिसाकुमारीओ
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१. समाहारा,
३. सुप्पबुद्धा
५. लच्छि मई, ७. वित्तता,
दाहित्व अ दिसाकुमारी महतरिवाज सएहिं सएहिं कूडेहिं एवं तं चेव पुव्ववण्णियं जाव विहरति, तं जहा — गाहा
अधोलोक
२. नंदा,
४. दिवद्धणा,
६. वेजयंती,
८. अपराजिया ।
- जंबु० वक्ख० ५, सु० ११४
२. सुप्पइण्णा,
४. जोहरा ।
६. सेवई,
१. इलादेवी,
३. पुहवी,
,
८. वसुन्धरा ।।
- जंबु० वक्ख० ५, सु० ११४ पच्चरिथम व्यगवत्यचाओ अड दिसाकुमारीओ
२२५. पच्चत्थिमख्यगवत्थय्वाओ अदिसाकुमारिमहरियाओ सएहिं सएहिं कूडेहिं एवं तं चैव पुव्ववण्णियं जाव विहरति, तं जहा-गाहा -
२. सुरादेवी,
४. पउमावई ।
-
१. नन्दुत्तरा,
३. आनन्दा,
५. विजया,
७. जयन्ती
२ मंदर दाहिणं रेपए अउडा पण्णता, तं जहा
१. समाहारा,
३. सुप्रबुद्धा,
५. लक्ष्मीमति,
७. चित्रगुप्ता
कूटों पर यहां वहीं पूर्व वर्णित पाठ या गावाआठ दिशाकुमारियों
सूत्र २२३-२२५.
दक्षिण दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ दिशाकुमारियाँ -
मंदर मेरे
अबूदाण्णता तं जहा
गाहा १ र २ बज्जि ३. कंण, ४. ४. दिसोचिए प
७. अंजग, ८. अंजणपुलए, रूयगस्स पुरिच्छ्मे कूडा ||
२२४. दक्षिण दिशावर्ती रुक पर्वत पर रहने वाली आठ महा दिशाकुमारियाँ अपने-अपने कूटों पर 'यहाँ वही पूर्व वर्णित कथन है' - यावत् रहती है । यथा-गाथार्थ आठ दिशाकुमारियों के
नाम
२. नन्दा, ४. नन्दिवर्धना,
अदिमाकुमारमरिया महियाओ, जाय पतिओवमइया परिवति तं जहा
गाहाणंदुत्तरा जाव, अपराजिया । - ठाणं सु० ६४३
६. वेजयन्ती,
८. अपराजिता ।
पश्चिमदिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ दिशाकुमारियाँ -
१.२.२४ व ५ स ६ दिवावरे,
"
७. वेसणे, ८. वेरुलिए, रूयगस्स दाहिजे कूडा ||
तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिदियाओ जाव - पलिओवमट्टिइयाओ परिवसंति, तं जहा,
गाहा— समाहारा, जाव, वसुन्धरा ।
- ठाणं = सु० ६४३
२२५. पश्चिम दिशावर्ती रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ महादिशाकुमारियाँ अपने-अपने कूटों पर 'यहाँ वही पूर्व वणितक है'याद रहती हैं। यथा याचाचं- आठ दिनाकुमारियों के नाम१. इलादेवी, २. सुरादेवी, ४. पद्मावती
३. पृथ्वी,
२. प्रतिज्ञा
४. यशोधरा,
६. शेषवती,
८. वसुन्धरा ।