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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग का प्रारम्भ काल
सूत्र ११२४
जोय जोइत्ता जोय अणुपरियट्ट इ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है। जोय अणुपरियट्टित्ता पाओ चंद उत्तराफग्गुणीणं योग-मुक्त होकर प्रातःकाल में "पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र" समप्पेइ,
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को चन्द्र समर्पित कर देता है। १८. ता उत्तरा-फग्गुणी खलु णक्खत्ते उभय भागे दिवड्ढ- (१८) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र “दिन के" पूर्वभाग-प्रात:
खेत्ते पणयालीसइ-मुहुत्ते तप्पढमयाए पाओ चंदेण सद्धि काल में तथा “दिन के" पिछले भाग सायंकाल में चन्द्र के साथ जोय जोएइ, अवरं च राई तओ पच्छा अवरं च योग प्रारम्भ करता है। तदनन्तर एक रात्रि और एक दिन दिवस,
अर्थात 'पूर्वापर का काल मिलाकर" पैंतालीस मुहूर्त चन्द्र के
साथ डेढ़ क्षेत्र में योग-युक्त रहता है। एवं खलु उत्तराफग्गुणी णक्खत्ते दो दिवसे एगं च इस प्रकार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दो दिन और एक रात राइं चंदेण सद्धि जोय जोएइ,
चन्द्र के साथ योग-युक्त रहता है ।। जोय जोइत्ता जोय अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोय अणुपरियट्टित्ता साय चंदं हत्थं समप्पेइ, योग-मुक्त होकर सायंकाल में-"उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र"
हस्त नक्षत्र को चन्द्र समर्पित कर देता है। १६. ता हत्थे खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते (१६) हस्त नक्षत्र “दिन के" पिछले भाग सायंकाल में
तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धि जोय जोएइ, तओ चन्द्र के साथ योग प्रारम्भ करता है । तदनन्तर एक दिन, अर्थात् पच्छाराई अवरं च दिवस,
"पूर्वापर का काल मिलाकर" तीस मुहूर्त चन्द्र के साथ समक्षेत्र
में योग-युक्त रहता है। एवं खलु हत्थ णक्खत्ते एगं च राई, एगं च दिवसं इस प्रकार हस्त नक्षत्र एक रात्रि और एक दिवस चन्द्र के चंदेण सद्धि जोयं जोएइ,
साथ योग-युक्त रहता है। जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोयं अणु परियट्टित्ता सायं चंदं चित्ताए समप्पेइ, योग-मुक्त होकर सायंकाल में "हस्त नक्षत्र" चित्रा नक्षत्र
को चन्द्र समर्पित कर देता है। २०. ता चित्ता खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइ- (२०) चित्रा नक्षत्र 'दिन के" पिछले भाग-सायंकाल में
मुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धि जोयं जोएइ, तओ चन्द्र के साथ योग प्रारम्भ करता हैं, तदनन्तर एक दिवस अर्थात् पच्छाराई अवरं च दिवस,
"पूर्वापर का काल मिलाकर" तीस मुहूर्त चन्द्र के साथ समक्षेत्र
में योग-युक्त रहता है। एवं खलु चित्ता णक्खते एगं च राई, एगं च दिवसं इस प्रकार चित्रा नक्षत्र एक रात्रि और एक दिवस चन्द्र के चदेण सद्धि जोय जोएइ,
साथ योग-युक्त रहता है। जोय जोइत्ता जोय अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोय अणुपरियट्टित्ता साय' चंदं साईए समप्पेइ, योग-मुक्त होकर सायंकाल में "चित्रा नक्षत्र" स्वाती नक्षत्र
को चन्द्र समर्पित कर देता है। २१. ता साई खलु णक्खत्ते नत्तंभागे अवड्ढखेत्ते पण्णरस- (२१) स्वाती नक्षत्र सायंकाल में चन्द्र के साथ योग प्रारम्भ
मुहुत्ते तप्पढमयाए साय चंदेण सद्धि जोय जोएइ, करता है, रात्रि में पन्द्रह मुहूर्त चन्द्र के साथ अर्धक्षेत्र में योगनो लभइ अवरं दिवस,
युक्त रहता है । किन्तु दूसरे दिन योग-युक्त नहीं रहता है । एवं खल साइ गक्खत्ते एगं च राई चंदेण सद्धि जोय इस प्रकार स्वाती नक्षत्र एक रात्रि चन्द्र के साथ योग-युक्त जोएइ,
रहता है। जोय जोइत्ता जोय अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है ।