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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक्लोक : नक्षत्रों के भोजन और कार्य-सिद्धि
सूत्र ११२५
२७. अस्सिणीहि तितिर-मंसं वट्टकमसं वा भोच्चा कज्ज (२७) अश्विनी नक्षत्र में तीतर का या घतक का मांस साधेति,
खाकर कार्य करें तो कार्य सिद्ध होता है । २८. भरणीहि तलं तंदुलकं भोच्चा कज्ज साधेति,' (२८) भरणी नक्षत्र में तिल और चावल खाकर कार्य करें
-सूरिय. पा. १०, पाहु. १७, सु. ५१ तो कार्य सिद्ध होता है।
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चंद. पा.१० सु.५१ । कूल्माषांस्तिल तण्डुलानपि तथा माषांश्च गव्यं दधि; त्वाज्यं दुग्धमथैणमांसमपरं तस्यैव रक्तं तथा । तद्वत्पायसमेव चापपललं मार्ग च शाशं तथा षाष्टिवयं च प्रियंग्वपूपमथवा चित्राण्डजान् सत्फलम् ।। ८४ ।। कौम सारिकगोधिकं च पललं शाल्यं हविष्यं हयाद्यक्ष स्यान्कृसरानमुद्गमपि वा पिष्टं यवानां तथा । मत्स्यान्नं खलु चित्रितान्नमथवा दध्यन्नमेवं क्रमाद् भक्ष्याऽभक्ष्यमिदं विचार्य मतिमान् भक्षत्तथाऽऽलोकयेत् ।। ८५ ॥
-मुहूर्तचिन्तामणि यात्राप्रकरण सूर्यप्रज्ञप्ति और मुहूर्त चिन्तामणी के अनुसार नक्षत्रा भोजन विधान की तालिकासूर्यप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति
मुहूर्त चिन्तामणी मुहूर्त चिन्तामणी क्र० नक्षत्र नाम नक्षत्र भोजन नक्षत्र नाम
नक्षत्र भोजन १ अभिजित् पुष्प
अश्विनी २ श्रवण
भरणी
खिचड़ी ३ धनिष्ठा
कृत्तिका
मूग-भात ४ शतभिषक् तुवरदाल
रोहिणी
जौ का आटा ५ पूर्वाभाद्रपद करेला
मृगशिरा
मछली-भात ६ उत्तराभाद्रपद वराह-मांस
आर्द्रा
खिचड़ी ७ रेवती जलचर-मांस पुनर्वसु
दही-भात ८ अश्विनी तीतर मांस, बतक मांस । पुष्य
उड़द जौ ६ भरणी तिल, चावल
अश्लेषा
तिल, चावल १० कृत्तिका
मघा
उड़द ११ रोहिणी वृषभमांस पूर्वाफाल्गुनी
गाय का दही १२ मृगशिरा मृग-मांस उत्तराफाल्गुनी
गाय का घृत १३ आर्द्रा नवनीत
हस्त
गाय का दूध १४ पुनर्वसु
चित्रा
हरिण-मांस १५ पुष्य दूध स्वाती
हरिण-रक्त १६ अश्लेषा दीपक-मांस विशाखा
क्षीर कथौटी
अनुराधा
पपीहा-मांस १८ पूर्वाफाल्गुनी मेंडक-मांस
हरिण-मांस १६ उत्तराफाल्गुनी श्वापद-मांस
मूल
शशक-मांस २० हस्त वस्त्रानीत पूर्वाषाढ़ा
साठी-चावल २१ चित्रा मूगदाल
उत्तराषाढ़ा
मालकांगनी २२ स्वाती फलाहार
अभिजित् २३ विशाखा आसित्तिका
श्रवण
विचित्र पक्षी २४ अनुराधा मिश्रकूर धनिष्ठा
उत्तम फल २५ जेष्ठा लट्ठि
शतभिषक्
कच्छप-मांस मुली-पत्र पूर्वाभाद्रपद
सारिका पक्षी मांस २७ पूर्वाषाढ़ा आमला
उत्तराभाद्रपद
गोधा-मांस २८ उत्तराषाढ़ा बल
रेवती
साही-मांस (क्रमशः)
दही
घृत
१७ मघा
जेष्ठा
पूआ