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________________ ६५२ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक्लोक : नक्षत्रों के भोजन और कार्य-सिद्धि सूत्र ११२५ २७. अस्सिणीहि तितिर-मंसं वट्टकमसं वा भोच्चा कज्ज (२७) अश्विनी नक्षत्र में तीतर का या घतक का मांस साधेति, खाकर कार्य करें तो कार्य सिद्ध होता है । २८. भरणीहि तलं तंदुलकं भोच्चा कज्ज साधेति,' (२८) भरणी नक्षत्र में तिल और चावल खाकर कार्य करें -सूरिय. पा. १०, पाहु. १७, सु. ५१ तो कार्य सिद्ध होता है। १ चंद. पा.१० सु.५१ । कूल्माषांस्तिल तण्डुलानपि तथा माषांश्च गव्यं दधि; त्वाज्यं दुग्धमथैणमांसमपरं तस्यैव रक्तं तथा । तद्वत्पायसमेव चापपललं मार्ग च शाशं तथा षाष्टिवयं च प्रियंग्वपूपमथवा चित्राण्डजान् सत्फलम् ।। ८४ ।। कौम सारिकगोधिकं च पललं शाल्यं हविष्यं हयाद्यक्ष स्यान्कृसरानमुद्गमपि वा पिष्टं यवानां तथा । मत्स्यान्नं खलु चित्रितान्नमथवा दध्यन्नमेवं क्रमाद् भक्ष्याऽभक्ष्यमिदं विचार्य मतिमान् भक्षत्तथाऽऽलोकयेत् ।। ८५ ॥ -मुहूर्तचिन्तामणि यात्राप्रकरण सूर्यप्रज्ञप्ति और मुहूर्त चिन्तामणी के अनुसार नक्षत्रा भोजन विधान की तालिकासूर्यप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति मुहूर्त चिन्तामणी मुहूर्त चिन्तामणी क्र० नक्षत्र नाम नक्षत्र भोजन नक्षत्र नाम नक्षत्र भोजन १ अभिजित् पुष्प अश्विनी २ श्रवण भरणी खिचड़ी ३ धनिष्ठा कृत्तिका मूग-भात ४ शतभिषक् तुवरदाल रोहिणी जौ का आटा ५ पूर्वाभाद्रपद करेला मृगशिरा मछली-भात ६ उत्तराभाद्रपद वराह-मांस आर्द्रा खिचड़ी ७ रेवती जलचर-मांस पुनर्वसु दही-भात ८ अश्विनी तीतर मांस, बतक मांस । पुष्य उड़द जौ ६ भरणी तिल, चावल अश्लेषा तिल, चावल १० कृत्तिका मघा उड़द ११ रोहिणी वृषभमांस पूर्वाफाल्गुनी गाय का दही १२ मृगशिरा मृग-मांस उत्तराफाल्गुनी गाय का घृत १३ आर्द्रा नवनीत हस्त गाय का दूध १४ पुनर्वसु चित्रा हरिण-मांस १५ पुष्य दूध स्वाती हरिण-रक्त १६ अश्लेषा दीपक-मांस विशाखा क्षीर कथौटी अनुराधा पपीहा-मांस १८ पूर्वाफाल्गुनी मेंडक-मांस हरिण-मांस १६ उत्तराफाल्गुनी श्वापद-मांस मूल शशक-मांस २० हस्त वस्त्रानीत पूर्वाषाढ़ा साठी-चावल २१ चित्रा मूगदाल उत्तराषाढ़ा मालकांगनी २२ स्वाती फलाहार अभिजित् २३ विशाखा आसित्तिका श्रवण विचित्र पक्षी २४ अनुराधा मिश्रकूर धनिष्ठा उत्तम फल २५ जेष्ठा लट्ठि शतभिषक् कच्छप-मांस मुली-पत्र पूर्वाभाद्रपद सारिका पक्षी मांस २७ पूर्वाषाढ़ा आमला उत्तराभाद्रपद गोधा-मांस २८ उत्तराषाढ़ा बल रेवती साही-मांस (क्रमशः) दही घृत १७ मघा जेष्ठा पूआ
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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