________________
सूत्र ११२५
तिर्यक लोक : नक्षत्रों के भोजन और कार्य-सिद्धि
गणितानुयोग
६५१
७. अस्सेसाए दीवग-मंसं भोच्चा कज्ज साधेति, (७) अश्लेषा नक्षत्र में दीपक का मांस खाकर कार्य करे तो
कार्य सिद्ध होता है। ८. महाहि कसोति भोच्चा कजं साधेति,
(८) मघा नक्षत्र में कथोटी खाकर कार्य करे तो कार्य सिद्ध
होता है। ६. पुव्वाहि फग्गुणीहिं मेढक-मंसं भोच्चा कज्जं (६) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में मेंढक का मांस खाकर कार्य करे साधेति,
तो कार्य सिद्ध होता है। १०. उत्तराहि फग्गुणीहिं णक्खी मंसं भोच्चा कज्ज (१०) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में नख वाले का मांस खाकर साधेति,
कार्य करे तो कार्य सिद्ध होता है । ११. हत्येण वत्थाणीए णं भोच्चा कज्ज साधेति,
(११) हस्त नक्षत्र में वस्त्रानीत-खाद्य विशेष खाकर कार्य
करे तो कार्य सिद्ध होता है। १२. चित्ताहि मुग्ग-सूवेणं भोच्चा कज्ज साधति, (१२) चित्रा नक्षत्र में मूग की दाल खाकर कार्य करे तो
कार्य सिद्ध होता है। १३. साइणा फलाई भोच्चा कज्ज साधेति,
(१३) स्वाती नक्षत्र में फल खाकर कार्य करें तो कार्य सिद्ध
होता है। १४. विसाहाहि आसित्तियाओ भोच्चा कज्ज साधेति, (१४) विशाखा नक्षत्र में आसित्तिका खाद्य विशेष खाकर
कार्य करें तो कार्य सिद्ध होता है । १५. अणु राहाहि मिस्सारं भोच्चा कज्ज साधेति, (१५) अनुराधा नक्षत्र में मिश्रकूर-खाद्य विशेष खाकर
कार्य करें तो कार्य सिद्ध होता है । १६. जेद्वाहि लट्ठिएण भोच्चा कज्ज साधेति,
(१६) जेष्ठा नक्षत्र में लट्ठिअ = खाद्य विशेष खाकर कार्य
करें तो सिद्ध होता है। १७. मलेणं मूलापन्नेणं भोच्चा कज्ज साधेति,
(१७) मूल नक्षत्र में मूली के पत्ते खाकर कार्य करे तो कार्य
सिद्ध होता है। १८. पुव्वाहि आसाढाहि आमलग-सरीरे भोच्चा कज्ज (१८) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आमलक खाकर कार्य करे ता साधेति,
कार्य सिद्ध होता है। १६. उत्तराहि आसाढाहि बलेहि भोच्चा कज्ज साधेति, (१६) उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में बल=खाद्य विशेष खाकर कार्य
करें तो कार्य सिद्ध होता है। २०. अभीयिणा पुप्फेहि भोच्चा कज्जं साधेति, (२०) अभिजित् नक्षत्र में पुष्प खाकर कार्य करें तो कार्य
सिद्ध होता है। २१. सवणे णं खीरे णं भोच्चा कज्ज साधेति,
(२१) श्रवण नक्षत्र में दुग्ध पीकर कार्य करे तो कार्य सिद्ध
होता है। २२. धणिट्ठाहिं जूसे णं भोच्चा कज्ज साधेति,
(२२) धनिष्ठा नक्षत्र में जूस =मूग आदि का क्वाथ पीकर
कार्य करे तो कार्य सिद्ध होता है । २३. सतभिसयाए तुवरीओ भोच्चा कज्जं साधेति, (२३) शतभिषक् नक्षत्र में तुवर की दाल खाकर कार्य करें
तो कार्य सिद्ध होता है। २४. पुवाहि पुट्ठवयाहि कारिल्लएहि भोच्चा कज्ज (२४) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में करेला खाकर कार्य करें तो साधेति,
कार्य सिद्ध होता है। २५. उत्तराहि पुट्ठवयाहि वराहमंसं भोच्चा कज्ज (२५) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में बराह का मांस खाकर कार्य साधेति,
करें तो कार्य सिद्ध होता है। २६. रेवतीहिं जलयर-मंसं भोच्चा कज्ज साधेति, (२६) रेवती नक्षत्र में जलचर का मांस खाकर कार्य करें
तो कार्य सिद्ध होता है।