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सूत्र ६३५-६३६
तिर्यक् लोक : पुष्करवरद्वीप में ज्योतिषिकदेव
गणितानुयोग
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(५) ५०-केवइया तारागणकोडिकोडिओ सोभ सोभेसु वा, (५) प्र०-कितने कोटाकोटी तारागण सुशोभित होते थे, सोभंति वा, सोभिस्संति वा ?
सुशोभित होते हैं और सुशोभित होंगे ? (१) उ०-पुक्खरबरे णं दीवे--
. (१) उ०—पुष्करवर द्वीप मेंता चोयालं चंदसयं पभासेंसु वा, पभासिति वा, एक सौ चम्मालीस चन्द्र प्रभासित होते थे, प्रभासित होते हैं पभासिस्संति वा,
और प्रभासित होंगे। (२) उ०-चोयालं सूरियाणं सयं तविसं वा, तति वा, (२) उ०—एक सौ चम्मालीस सूर्य तपाते थे, तपाते हैं और तविस्संति वा,
तपाएंगे। (३) उ०-बारस सहस्साई छच्च बावत्तरा महग्गहसया चारं (३.) उ०-बारह हजार छ: सौ बहत्तर महाग्रह गति करते चरिसुवा, चरंति वा, चरिस्संति वा,
थे, गति करते हैं और गति करेंगे । (४) उ०-चत्तारि सहस्साई बत्तीसं च णक्खत्ता जोगं जोएंसु (४) उ०-चार हजार बत्तीस नक्षत्र योग करते थे, योग वा, जोएंति वा, जोइस्संति वा,
करते हैं और योग करेंगे। (५) उ०-छण्णउइसयसहस्साई चोयालीसं सहस्साइं चत्तारि (५) उ०-छिनवे लाख चमालीस हजार चार सौ कोटा
य सयाई तारागणकोडिकोडी णं सोभं सोभेसु वा, कोटी तारागण सुशोभित होते थे, सुशोभित होते हैं और सुशोसोभेति वा, सोभिस्संति वा,
भित होंगे। गाहाओ
गाथार्थचत्तालं चंदसयं, चत्ताल चेव सूरियाण सयं। पुष्करवरद्वीप में चम्मालीस सौ चन्द्र चम्मालीस सौ सूर्य पोक्खरवरबीवम्मि य, चरंति एए पभासंता ॥ प्रकाश करते हुए विचरते हैं, चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव हुँति णक्खता। चार हजार बत्तीस नक्षत्र, बारह हजार छ: सौ बहत्तर छच्च सया बावत्तरं, महग्गहा बारह सहस्सा ॥ महाग्रह, (तथा) छण्णउइ सय सहस्सा चोत्तालोसं खलु भवे सहस्साई। छिनवे लाख चम्मालीस हजार चार सौ कोटाकोटी तारागण चत्तारि य सया खलु, तारागणकोडिकोडी णं॥ हैं।
-सूरिय. पा. १६. सु० १०० अब्भंतरपुक्खरद्ध जोइसिय देवा .
आभ्यन्तर पुष्करार्ध में ज्योतिष्क देव -- ९३६. (१) ५०-ता अन्भिंतर पुक्खरखे ,
६३६. प्र० -आभ्यन्तर पुष्करार्ध मेंकेवइया चंदा पभासेंसु वा, पभासिति वा, पभा- कितने चन्द्र प्रभासित होते थे, प्रभासित होते हैं और प्रभासिस्संति वा।
सित होंगे? (२) १०-- केवइया सूरा तवेंसु वा, तवेति वा, तविस्संति वा? (२) प्र०--कितने सूर्य तपाते थे, तपाते हैं और तपाएंगे? (३) ५०-केवइया गहा चार चरिंसु वा, चरंति वा, चरि- (३) प्र०—कितने ग्रह गति करते थे, गति करते हैं और स्संति वा?
गति करेंगे? (४) ५०-केवइया णक्खत्ता जोगं जोएंसु वा, जोएंति वा, (४) प्र०-कितने नक्षत्र योग करते थे. योग करते हैं और जोइस्संति वा?
___ योग करेंगे? (५) ५०-केवइया तारागण कोडिकोडीओ सोभं सोभेसु वा, (५) प्र०-कितने कोटा कोटी तारागण सुशोभित होते थे, सोभंति वा, सोभिस्संति वा ?
सुशोभित होते हैं और सुशोभित होंगे। (१) उ०-अभिंतर पुक्खर णं
(१) उ०-आभ्यन्तर पुष्करार्ध मेंबावरि चंदा पभासेंसु वा, पभासिति वा, पभा- बहत्तर चन्द्र प्रभासित होते थे, प्रभासित होते हैं और प्रभासिस्संति वा,
सित होंगे।
१
(ख) जीवा, पडि. ३, उ. २, सु. १७६ ।
(क) चंद पा. १६, सु. १००। (ग) भग. स. ६, उ. २, सू. ४ ।