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सूत्र १०१२-१०१३
तिर्यक् लोक : तापक्षेत्र और अन्धकारक्षेत्र
गणितानुयोग
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५०–ता से णं परिक्खेवविसेसे कओ ? आहिए त्ति वएज्जा, प्र०-उस (सर्व बाह्य बाहा की) परिधि की (सिद्धि) किस
प्रकार है ? उ०–ता जे णं जंबुद्दीव-दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहि उ०-जम्बूद्वीप की परिधि तीन गुणा करें, दस का भाग दें,
गुणित्ता, दसहि छत्ता, दसहि भागे हीरमाणे =एस णं दस का भाग देने पर यह परिधि विशेष होती है। परिक्खेव-बिसेसे, आहिए ति वएज्जा,
-सूरिय. पा. ४, सु. २५ तावखेत्तस्स अधकार खेत्तस्स य आयामाईणं परवणं- तापक्षेत्र और अन्धकारक्षेत्र के आयामादि का प्ररूपण१३. ५०–ता तोसे णं तावक्खेत्ते केवइयं आयामेणं ? आहिए १३. प्र०-सूर्य के उस ताप (प्रकाशित) क्षेत्र का आयाम कितना
त्ति वएज्जा, उ०–ता अट्टतरि जोयणसहस्साई, तिण्णि य तेत्तीसे जोय- उ०-अठहत्तर हजार तीन सौ तेतीस योजन और एक
णसए जोयणतिभागे च आयामेणं, आहिए ति योजन के तीन भागों में से एक भाग जितना है ।
वएज्जा , प०-तया णं कि संठिया अंधकारसंठिई ? आहिए ति प्र०-उस अन्धकार (सूर्य से अप्रकाशित क्षेत्र) की संस्थिति वएज्जा ,
कैसी है ? कहें, उ०-उद्धीमुह-कलंबुआ-पुप्फसंठिया तहेव जाव बाहिरिया उ०-ऊपर की ओर मुंह किये हुए नलिनी पुष्प जैसी हैचेव बाहा,
यावत्-बाह्य पर्यन्त उसी प्रकार से कहें। तीसे णं सम्वन्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं छज्जोय- उसकी सर्वाभ्यन्तर बाहा मन्दर पर्वत के समीप छः हजार णसहस्साई तिण्णि य चउवीसे जोयणसए छच्च बस- तीन सौ चीबीस योजन और एक योजन के दस भागों में से छः
भागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिए ति वएज्जा, भाग जितनी परिधि वाली है। ५०-ता तोसे गं परिक्खेवविसेसे कओ? आहिए त्ति प्र०-उसकी इस परिधि विशेष का प्रमाण किस प्रकार है ? वएज्जा,
कहें। उ०–ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवेणं तं परिक्खेवं उ०-मन्दर पर्वत की पूर्वोक्त परिधि को दो से गुणा करके
दोहिं गुणेत्ता, दहि छित्ता दसहि भागे हीरमाणे, दस से भाग देने पर परिधि विशेष का प्रमाण उपलब्ध होता है। एस णं परिक्खेव-विसेसे, आहिए त्ति बएज्जा, तोसे सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुदं तेणं तेवट्ठि उसकी सर्व बाह्य बाहा लवणसमुद्र के समीप त्रेसठ हजार जोयणसहस्साई दोण्णि य पणयाले जोयणसए छच्च दस दो सौ पैतालीस योजन और एक योजन के दस भागों में से छः
भागे जोयणस्स परिक्खेवेणं, आहिए त्ति वएज्जा, भाग जितनी परिधि वाली है। प०–ता से गं परिक्खेवविसेसे कओ? आहिए त्ति वएज्जा, प्र०- उसकी इस परिधि विशेष का प्रमाण किस प्रकार
उ०—ता जे णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स परिक्खेवे, त परिक्खेवं उ०-जम्बूद्वीप की पूर्वोक्त परिधि को दुगुणा करके दस का
दोहि गुणेत्ता दसहि छेत्ता दसहि भाहिं हीरमाणे भाग देने पर इस परिधि विशेष का प्रमाण उपलब्ध होता है।
दसणं परिक्खेवविसेसे, आहिए त्ति वएज्जा, प०-ता जे गं अंधकारे केवइय आयामेणं? आहिए ति प्र०--उस अन्धकार (सूर्य से अप्रकाशित क्षेत्र) का आयाम वएज्जा ,
कितना है ? कहें,
२ (क) जम्बूद्वीप की परिधि ३, १६, २, २७ योजन तीन कोस २८ धनुष १३ अंगुल तथा आधे अंगुल से कुछ अधिक है।
इनके दस का भाग देने पर ६४,८,६८ योजन और एक योजन के दस भागों में से चार भाग जितनी सर्वबाह्य बाहा की
परिधि विशेष है। (ख) चन्द. पा. ४ सु. २५ ।
(ग) जम्बु. वक्ख. ७ सु. १३५ ।