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________________ ११० २२४. लोक-प्रज्ञप्ति सहं हं हं एवं तं चैव पुत्रवयिंजाब-विहरति दिशाकुमारियाँ अपने-अपने तं जहा - गाहाकहें रहती है के नाम १. दुसरा य ३. आणंदा, ५. विजया य ७. जयंती, दाहिणव्यवस्थाओं अट्ठ दिसाकुमारीओ ***** १. समाहारा, ३. सुप्पबुद्धा ५. लच्छि मई, ७. वित्तता, दाहित्व अ दिसाकुमारी महतरिवाज सएहिं सएहिं कूडेहिं एवं तं चेव पुव्ववण्णियं जाव विहरति, तं जहा — गाहा अधोलोक २. नंदा, ४. दिवद्धणा, ६. वेजयंती, ८. अपराजिया । - जंबु० वक्ख० ५, सु० ११४ २. सुप्पइण्णा, ४. जोहरा । ६. सेवई, १. इलादेवी, ३. पुहवी, , ८. वसुन्धरा ।। - जंबु० वक्ख० ५, सु० ११४ पच्चरिथम व्यगवत्यचाओ अड दिसाकुमारीओ २२५. पच्चत्थिमख्यगवत्थय्वाओ अदिसाकुमारिमहरियाओ सएहिं सएहिं कूडेहिं एवं तं चैव पुव्ववण्णियं जाव विहरति, तं जहा-गाहा - २. सुरादेवी, ४. पउमावई । - १. नन्दुत्तरा, ३. आनन्दा, ५. विजया, ७. जयन्ती २ मंदर दाहिणं रेपए अउडा पण्णता, तं जहा १. समाहारा, ३. सुप्रबुद्धा, ५. लक्ष्मीमति, ७. चित्रगुप्ता कूटों पर यहां वहीं पूर्व वर्णित पाठ या गावाआठ दिशाकुमारियों सूत्र २२३-२२५. दक्षिण दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ दिशाकुमारियाँ - मंदर मेरे अबूदाण्णता तं जहा गाहा १ र २ बज्जि ३. कंण, ४. ४. दिसोचिए प ७. अंजग, ८. अंजणपुलए, रूयगस्स पुरिच्छ्मे कूडा || २२४. दक्षिण दिशावर्ती रुक पर्वत पर रहने वाली आठ महा दिशाकुमारियाँ अपने-अपने कूटों पर 'यहाँ वही पूर्व वर्णित कथन है' - यावत् रहती है । यथा-गाथार्थ आठ दिशाकुमारियों के नाम २. नन्दा, ४. नन्दिवर्धना, अदिमाकुमारमरिया महियाओ, जाय पतिओवमइया परिवति तं जहा गाहाणंदुत्तरा जाव, अपराजिया । - ठाणं सु० ६४३ ६. वेजयन्ती, ८. अपराजिता । पश्चिमदिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ दिशाकुमारियाँ - १.२.२४ व ५ स ६ दिवावरे, " ७. वेसणे, ८. वेरुलिए, रूयगस्स दाहिजे कूडा || तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिदियाओ जाव - पलिओवमट्टिइयाओ परिवसंति, तं जहा, गाहा— समाहारा, जाव, वसुन्धरा । - ठाणं = सु० ६४३ २२५. पश्चिम दिशावर्ती रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ महादिशाकुमारियाँ अपने-अपने कूटों पर 'यहाँ वही पूर्व वणितक है'याद रहती हैं। यथा याचाचं- आठ दिनाकुमारियों के नाम१. इलादेवी, २. सुरादेवी, ४. पद्मावती ३. पृथ्वी, २. प्रतिज्ञा ४. यशोधरा, ६. शेषवती, ८. वसुन्धरा ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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