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सूत्र ६६१-६६४
तिर्यक् लोक : लवणसमुद्र वर्णन
गणितानयोग
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दगसीम आवासपव्वयस्स णामहेउ
दकसीम आवासपर्वत के नाम का हेत.६६१. ५०–से केण8 गं भंते ! एवं वुच्चइ-"दगसीमेणं आवास- ६६१. प्र०-भगवन् ! किस कारण से दकसीम आवासपर्वत को पव्वए दगसीमेणं आवासपब्वए ?
दकसीम आवासपर्वत कहा जाता है ? उ.-गोयमा ! दगसोमंते णं आवासपन्वते सीतासीतोदगाणं उ०-गौतम ! दकसीम आवासपर्वत शीता और शीतोदा महाणदीणं तत्थ गतो सोए पडिहम्मति ।
महानदी के प्रवाह को प्रतिहत करता है। से तेण?ण दगसीमे णाम आवासपन्वते सासए जाव- इस कारण से यह दकसीम नामक आवासपर्वत शाश्वतणिच्चे।
यावत्-नित्य है। मणोसिलए एत्थ देवे महिड्ढिीए-जाव-से णं तत्थ चउण्हं यहाँ मनःशिलाक महधिक देव है-यावत्-वह वहाँ चार सामाणियसाहस्सीणं-जाव-विहरति ।
हजार सामानिक देवों का (आधिपत्य करता हुआ)- यावत्-जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १५६ विचरण करता है । मणोसिला रायहाणी
मनःशिला राजधानी.६६२.५०-कहिणं भंते ! मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स ६६२. प्र०-भगवन् ! मनःशिलाक बेलंधर नागराज की मन - मणोसिला णामं रायहाणी पण्णत्ता ?
सिला नाम की राजधानी कहाँ कही गई है ? उ०-गोयमा ! दगसीमस्स आवासपवयस्स उत्तरेणं तिरि- उ०-गौतम : दकसीम आवासपर्वत के उत्तर में तिरछे
यमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिवइत्ता अण्णमि लवणसमुद्दे असंख्यद्वीप-समुद्र लाँघने पर अन्य लवणसमुद्र में मनःशिला नाम एत्थ णं मणोसिला णामं रायहाणी पण्णत्ता। तं चेव की राजधानी कही गई है। राजधानी का प्रमाण पूर्ववत हैपमाणं-जाव-मणोसिलए देवे ।
यावत्-मनःशिलाक देव है। गाहा-कणगंक-रययफालियमया य वेलंधराणमावासा। गाथार्य-वेलंधरों के आवासपर्वत कनकमय, अंकरत्नमय, . अणुवेलंधरराईण पध्वया होंति रयणमया ॥ रजतमय और स्फटिक रत्नमय हैं । अनुवेलंधरों के आवासपर्वत
-जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १५६ रत्नमय होते है। अणुवेलंधरनागरायचउक्कवण्णणं
चार अनुवेलंधर नागराजों का वर्णन.६६३. ५०-कहि गं भंते ! अणुवेलंधरणागरायाणो पण्णता? ६६३. प्र०-भगवन् ! अनुवेलंधर नागराज कितने कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! चत्तारि अणुवलंधरणागरायाणो पण्णत्ता, उ०-- गौतम ! अनुवेलंधर नागराज चार कहे गये हैं.
तं जहा-१. कक्कोडए, २. कद्दमए, ३. केलासे, ४. यथा-(१) कर्कोटक, (२) कर्दमक (३) कैलाश, (४) अरुणप्रभ ।
अरुणप्पभे। ५०-एतेसि गं भंते ! चउण्हं अणुवेलंधरणागरायाणं कति प्र०-भगवन् ! इन चार अनुवेलंधर नागराजों के आवासआवासपव्वया पण्णता?
पर्वत कितने कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! चत्तारि आवासपन्वया पण्णत्ता, तं जहा- उ-गौतम ! चार आवासपर्वत कहे गये हैं, यथा
१. कक्कोडए, २. कद्दमए, ३. कइलासे, ४. अरुणप्पभे।' (१) कर्कोटक- (२) कर्दमक, (३) कैलाश, (४) अरुणप्रभ । '६६४.५०-कहि णं भंते ! कक्कोडगस्स अणुवेलंधरणागरायगस्स ६६४. प्र०-भगवन् ! कर्कोटक अनुवेलंधर नागराज का कर्कोटक कक्कोडए णाम आवासपव्वते पण्णत्ते ?
नाम का आवासपर्वत कहाँ कहा गया है ? उ०-गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर- उ०-गौतम ! जम्बूद्वीप (नामक) द्वीप के मेरुपर्वत से
पुरथिमेणं लवणसमुद्द बायालीसं जोयणसहस्साइं उत्तर पूर्व में लवणसमुद्र में बियालीस हजार योजन जाने पर ओगाहित्ता-कक्कोडगस्स अणुवेलंधरणागरायस्स कर्कोटक अनुवेलंधर नागराज का कर्कोटक नामक आवासपर्वत कक्कोडए णामं आवासपव्वए पण्णत्ते ।
कहा गया है।
नाम का
११ ठाणं अ. ४, उ, २ सु. ३०५ ।