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लोक-प्रज्ञप्ति
अधोलोक
सूत्र २१३-२१५
भवणवईणं अणिया, अणियाहिवईणो य
भवनपतियों की सेनाएँ और सेनापति२१३ : चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सत्त अणिया, २१३ : असुरराज असुरेन्द्र चमर की सात सेनाएँ और सात सेनासत्तअणियाहंबई पण्णत्ता, तं जहा
" पति कहे गये हैं यथा१. पायत्ताणीए, २. पोढाणीए,
१. पदाति सेना २. पीढ (अश्व) सेना, ३. कुंजराणीए, ४. महिसाणीए,
३. कुंजर-सेना ४. महिष-सेना ५. रहाणीए, ६. गट्टाणीए,
५. रथ-सेना६ . नर्तक-सेना ७. गंधव्वाणोए।
७ गन्धर्व-सेना। १. दुमे-पायत्ताणियाहिवई,
१. द्रुम-पदाति सेना का सेनापति । २. सोदामी-आसराया पीढाणियाहिबई,
२. सौदामी-अश्वराज अश्वसेना का सेनापति । ३. कुंथ-हत्थिराया कुंजराणियाहिवई,
३. कुंथु-हस्तिराज कुंजर सेना म सेनानि । ४. लोहियक्खे-महिसानियाहिबई,
४. लोहिताक्ष-महिष सेना का सेनापति । ५. किण्णरे-रहाणियाहिवई,
५. किनार-रथसेना का सेनापति । ६. रिटु-नहाणियाहिवई,
६. रिष्ट-नर्तक सेना का सेनापति । ७. गीअरई-गंधवाणियाहिवई ।
५. गीतरति-गन्धर्व सेना का सेनापति । -ठाणं० ७, सु० ५८२ ।
२१४ : बलिस्स णं वइरोयगिदस्स वइरोक्णरनो सत्त अणिया, २१४ : वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बलि की सात सेनाएं और सात सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा
र सेनापति कहे गये हैं, यथा१-७ पायत्ताणीए जाव गंधव्वाणीए ।
पदाति सेना यावत् गन्धर्व सेना। १. महद्दुमे-पायत्ताणियाहिवई,
१. महाद्रुम-पदाति सेना का सेनापति । २. महासोदामो-आसराया पीढाणियाहिवई,
२. महासौदामी-अश्वराज अश्वसेना का सेनापति । ३. मालंकारो-हत्थीराया कंजराणियाहिबई.
२. मालंकार हस्तिराज-कुंजर सेना का सेनापति । ४. महालोहिअक्खो-महिसाणियाहिवई,
४. महालोहिताक्ष-महिषसेना का सेनापति । ५. किंपुरिसे-रहाणियाहिवई',
५ किंपुरुष-रथसेना का सेनापति । ६. महारि? - नट्टाणियाहिवई,
६. महारिष्टनर्तकसेना का सेनापति । ७. गोअजसे-गंधवाणियाहिबई ।
७. गीतयश-ग्रन्धर्वसेना का सेनापति । -ठाणं०७, सु० ५८२ ।
२१५: धरणस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो सत्त अणिया, २१५ : नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण की सात सेनाएं और सत्तअणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा
सात सेनापति कहे गये हैं यथा१-७ पायत्ताणीए जाव गंधवाणीए ।
१-७. पदाति सेना यावत् गन्धर्व सेना। १. रुद्दसेणे-पायत्ताणियाहिवई,
१. रुद्रसेन–पदाति सेना का सेनापति । '
१. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा -
१. पायत्ताणीए, २. पीढाणीए, ३. कुंजराणीए, ४. महिसाणीए, ५. रहाणीए। (१) दुमे-पायत्ताणिया हिवई,
(२) सोदामी–आसराया पीढाणियाहिवई, (३) कुंथु-हत्थिरायाकुंजराणियाहिवई, (४) लोहियक्खे-महिसाणियाहिबई, (५) किण्णरे-रहाणियाहिवई ।
-ठाणं० ५, उ० १, सु० ४०४ । इस सूत्र में चमर आदि सभी भवनवासियों की पाँच संग्राम-सेनायें और पाँच सेनापतियों के नाम है । ऊपर सूत्र ५८२ में
सात सेनायें और सात सेनापतियों के नाम हैं-इनमें नर्तकों की और गन्धवों की.सेनायें अधिक हैं। २. ठाणं ५. उ० १, सु० ४०४ ।