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________________ .१०४ लोक-प्रज्ञप्ति अधोलोक सूत्र २१३-२१५ भवणवईणं अणिया, अणियाहिवईणो य भवनपतियों की सेनाएँ और सेनापति२१३ : चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सत्त अणिया, २१३ : असुरराज असुरेन्द्र चमर की सात सेनाएँ और सात सेनासत्तअणियाहंबई पण्णत्ता, तं जहा " पति कहे गये हैं यथा१. पायत्ताणीए, २. पोढाणीए, १. पदाति सेना २. पीढ (अश्व) सेना, ३. कुंजराणीए, ४. महिसाणीए, ३. कुंजर-सेना ४. महिष-सेना ५. रहाणीए, ६. गट्टाणीए, ५. रथ-सेना६ . नर्तक-सेना ७. गंधव्वाणोए। ७ गन्धर्व-सेना। १. दुमे-पायत्ताणियाहिवई, १. द्रुम-पदाति सेना का सेनापति । २. सोदामी-आसराया पीढाणियाहिबई, २. सौदामी-अश्वराज अश्वसेना का सेनापति । ३. कुंथ-हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, ३. कुंथु-हस्तिराज कुंजर सेना म सेनानि । ४. लोहियक्खे-महिसानियाहिबई, ४. लोहिताक्ष-महिष सेना का सेनापति । ५. किण्णरे-रहाणियाहिवई, ५. किनार-रथसेना का सेनापति । ६. रिटु-नहाणियाहिवई, ६. रिष्ट-नर्तक सेना का सेनापति । ७. गीअरई-गंधवाणियाहिवई । ५. गीतरति-गन्धर्व सेना का सेनापति । -ठाणं० ७, सु० ५८२ । २१४ : बलिस्स णं वइरोयगिदस्स वइरोक्णरनो सत्त अणिया, २१४ : वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बलि की सात सेनाएं और सात सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा र सेनापति कहे गये हैं, यथा१-७ पायत्ताणीए जाव गंधव्वाणीए । पदाति सेना यावत् गन्धर्व सेना। १. महद्दुमे-पायत्ताणियाहिवई, १. महाद्रुम-पदाति सेना का सेनापति । २. महासोदामो-आसराया पीढाणियाहिवई, २. महासौदामी-अश्वराज अश्वसेना का सेनापति । ३. मालंकारो-हत्थीराया कंजराणियाहिबई. २. मालंकार हस्तिराज-कुंजर सेना का सेनापति । ४. महालोहिअक्खो-महिसाणियाहिवई, ४. महालोहिताक्ष-महिषसेना का सेनापति । ५. किंपुरिसे-रहाणियाहिवई', ५ किंपुरुष-रथसेना का सेनापति । ६. महारि? - नट्टाणियाहिवई, ६. महारिष्टनर्तकसेना का सेनापति । ७. गोअजसे-गंधवाणियाहिबई । ७. गीतयश-ग्रन्धर्वसेना का सेनापति । -ठाणं०७, सु० ५८२ । २१५: धरणस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो सत्त अणिया, २१५ : नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण की सात सेनाएं और सत्तअणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा सात सेनापति कहे गये हैं यथा१-७ पायत्ताणीए जाव गंधवाणीए । १-७. पदाति सेना यावत् गन्धर्व सेना। १. रुद्दसेणे-पायत्ताणियाहिवई, १. रुद्रसेन–पदाति सेना का सेनापति । ' १. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा - १. पायत्ताणीए, २. पीढाणीए, ३. कुंजराणीए, ४. महिसाणीए, ५. रहाणीए। (१) दुमे-पायत्ताणिया हिवई, (२) सोदामी–आसराया पीढाणियाहिवई, (३) कुंथु-हत्थिरायाकुंजराणियाहिवई, (४) लोहियक्खे-महिसाणियाहिबई, (५) किण्णरे-रहाणियाहिवई । -ठाणं० ५, उ० १, सु० ४०४ । इस सूत्र में चमर आदि सभी भवनवासियों की पाँच संग्राम-सेनायें और पाँच सेनापतियों के नाम है । ऊपर सूत्र ५८२ में सात सेनायें और सात सेनापतियों के नाम हैं-इनमें नर्तकों की और गन्धवों की.सेनायें अधिक हैं। २. ठाणं ५. उ० १, सु० ४०४ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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