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________________ सूत्र २१०-२१२ अधोलोक गणितानुयोग १०३ उ० [१] गोयमा ! बलिस्स णं वइरोणिवस्स वइरोयण उ० [१] हे गौतम ! वैरोचनराजा वैरोचनेन्द्र बली की रनो अभितरियाए परिसाए वीसं देवसहस्सा आभ्यन्तर परिषद के बीस हजार देव कहे गये हैं। पण्णत्ता। [२] मज्मिमियाए परिसाए चउवीसं देवसहस्सा [२] माध्यमिका परिषद के चौबीस हजार देव कहे गये हैं । पण्णत्ता। [३] बाहिरियाए परिसाए अट्ठावीसं देवसहस्सा [३] बाह्य परिषद के अठावीस हजार देव कहे गये हैं। पण्णत्ता। [४] अमितरियाए परिसाए अवपंचमा देविसता [४] आभ्यन्तर परिषद की साढ़े चारसौ देवियाँ कही गई हैं। पण्णत्ता। [५] मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि देविसया [५] माध्यमिका परिषद की चारसौ देवियाँ कही गई हैं। पण्णत्ता। [६] बाहिरियाए परिसाए अबढ़ा देविसया पण्णत्ता। [६] बाह्य परिषद की साढ़े तीनसौ देवियां कही गई हैं। सेसं जहा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमार शेष वर्णन असुरराज असुरेन्द्र चमर के जैसा है। रणो। - जीवा० पडि० ३, उ० १, सु० ११६ । सेसाणं भवणवईणं परिसाओ शेष भवनपतियों की परिषदायें२११:... परिसाओ जहा धरण-भूयाणंदाणं (सेसाणं भव- २११ : ""शेष भवनपतियों की परिषदायें धरण और भता णवईणं) बाहिणिल्लाणं जहा धरणस्स, उत्तरिल्लाणं नन्द जैसी है। अर्थात् दक्षिण के भवनपतियों की धरण जहा भयाणंदस्स, परिमाणं पि।। जैसी हैं और उत्तर के भवनपतियों की भूतानन्द जैसी हैं। " -जीवा• पडि० ३, उ० १, सु० १२० ।-(परिषदाओं का) परिमाण भी (उसी प्रकार है)। भवणवइ इंदोणं सामाणिय-तायत्तीसय-लोक भवनपति इन्द्रों के सामानिक त्रायस्त्रिशक और देवाणं अग्गमहिसोणं च परिसाओ लोकपाल देवों की तथा उनकी अग्र-महिषियों की परिषदायें२१२ : चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो . २१२ : असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर के सामानिक देवों की देवाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहाँ-जहा तीन परिषद कही गई है, यथाचमरस्स । एवं तायत्तीसगाण वि। चमर के समान है। त्रायस्त्रिशकों की परिषद भी इसी प्रकार है। चमरस्स लोगपालाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, चमर के लोकपालों की तीन परिषद कही गई है, यथातं जहा–१. तुंबा, २. तुडिया, ३. पव्वा । १ तुंबा, २. तुडिया, ३. पर्वा । एवं अग्गमहिसीण वि। इसी प्रकार अग्रमहिषियों की परिषद भी हैं। बलिस्स वि एवं चेव जाव अग्गमहिसोणं । बली के सामानिक देवों की यावत् अग्रमहिषियों की परिषद भी इसी प्रकार है। धरणस्स य सामाणिय-तायत्तीसगाणं धरण के सामानिक देवों को और त्रायस्त्रिशकों की परिषद तीन है। १. समिया, २. चंडा, ३. जाया। १. समिता, २. चंडा, ३. जाया। लोगपालाणं, अग्गमहिसोणं लोकपाल की अग्रमहिषियों की परिषद तीन हैं१. ईसा, २. तुडिया, ३. दढरहा। १. ईसा, २. त्रुटिता, ३. दृढरथा। जहा धरणस्स तहा सेसाणं भवणवासीण । शेष भवनवासियों की परिषदायें धरण के समान हैं। -ठाणं० ३, उ० २, सु. १५४ । अग्रमहिषियों का ३. हरयामान हैं ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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