Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 229
________________ 196 EPIGRAPHIA INDICA. [VOL. VIII. TEXT. First Plate. 1 औं स्खस्ति [*] विजयस्कन्धावाराहन्दि] तपल्लीवासकानसभप्रणतामित्राणां मैत्रकाणामतुलबलसम्पत्रमण्डलाभोग2 संसक्तमहारमतलब्धप्रतापात्प्रतापोपनतदानमानार्जवोपार्जितानुरागादनुरक्तमौलभृत श्रेणी3 बलावाप्तराज्यश्रियः परममाहेश्वरश्रीभटार्कादव्यवच्छिन्नराजवङ्गामातापितृचरणा रविन्दप्रणति4 प्रविधौताशेषकल्मषः शैशवात्प्रभृति खङ्गद्वितीयबाहुरेव समदपरगजघट[1] स्फोटनप्र[का]शि[त]5 'सत्वनिकषः तत्प्रभावप्रणतारातिचूडारत्नप्रभासंसक्तपादनखरश्मिसङ्गतिः सक[ल]- स्मृतिप्रणी6 तमार्गसम्यक्परिपालनप्रजाहृदयरञ्जनान्वर्थराजशब्दो रूपकान्तिस्थैर्यगाम्भीर्य्यबुद्धि सम्पनि[:*] स्मरश7 शाह्याद्विराजोदधिचिदशगुरुधनेशानतिशयानः शरणागताभयप्रदानपरतया तुणवद पास्ताशेषस्वकार्य8 फलप्रार्थनाधिकार्थप्रदानानन्दितविहत्महत्प्रणयिहृदयः पादचारीव सकलभुवन मण्डला[भोगप्रमोदः 9 परममाहेश्वरः श्रीगुहसेनस्तस्य सुतस्तत्पादनखमयूखसन्तानविसृतजाह्नवीजलोघ प्रक्षालि[ता शेष-' 10 कल्मषः प्रणयिशतसहस्रोपजीव्यमानसम्पद्रूपलोभादिवाश्रितः सरभसमाभिगामि कैर्गुणै:*] [स]हनll शक्तिशिक्षाविशेषविम्मापिताखिलधनुईरः प्रथमनरपतिसमतिसृष्टानामनुपालयिता धर्मदा[याना]12 मपाकर्ता प्रजोपघातकारिणमुपलवाना दर्शयिता श्रीसरस्वत्योरेकाधिवासस्य "सतारातिपक्षल[सी]13 परिभोगदपविक्रमी विक्रमोपसप्रप्तवि[म]लपार्थिवश्री: परममाहेश्वरः श्रीधर सेनस्तस्य सुतस्तत्यादानु T and th of From two ink-impressions and an estampage. An indistinct symbol is engraved above the line between - Read °वंशा. • Read °सत्त्व - Read अलीध. • Read'प्रधाना.. • Read 'संप्राप्त. * Expressed by a symbol. arteko • Read °संहतिः. • Read संहता.

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