Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India
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EPIGRAPHIA INDICA.
[VOL.VIII.
लहुअत्तं तुह दिवं मा मबस धरणि भोपराएण । तेण धरिमा सि एवं गरुपाण वि गरुइमं देव ॥४८॥ कुम्मविणासे खुहिआ अज्जावहि संकिआ ठिा धरणी। तडू धरिपा पु[19]ण एहिं सप्पसरा पण व सप्पसरा ॥५०॥ लहुआवित्रा वि पुहई अप्पं लहावित्रं न मवेद । न गणंति किं पि दइए रत्तुम्मत्ताओ महिलाओ ॥५१॥ लहवित्रा वि हु हई भोष तए मुणइ गरुममत्ताणं । महिलाण पिएण कयं सयलं लडहं पडीहाइ ॥५२॥ कुम्मेण धरा धरिआ लहुअं अप्पं सया [20] वि मन्वन्ती । तद धरिआ पुण एसा दूणं अत्ताणयं लहइ ॥५२॥ जी गारी हु दिनो पहिं सो होइ एत्य केरिसओ । लहुअत्तणं तइ कयं पडिहाइ महीए अइगरुअं ॥५४॥ लहुअत्तं गरुअत्तं भारस्म चडेड धारएण कयं । गरुपवित्रा कुम्मेणं धरणी लहुआवित्रा ह तए ॥५५॥ गरुअत्त[21]णं पि दिन पहिं पडिहाइ लहुइमभहि । तर दिवं लहुअत्तं पडिहायड गरुहमभहिरं ॥५६॥ मरिऊण जो धरिज्जइ भारो इह कुम्म सो हु केरिसी । अपलहआए तुम्हे इमीए कह कायरा जाया ॥५७॥ गरुएणं लहुअत्तं उग्रणीअं गरुइमं पि इह देइ । दूअ सायरपमुहा[22]णं हिपए खेत्रो न तणुओ वि ॥५८॥ दाऊणं लहुअत्तं सइ धरणीगरुइमा हु वडविआ । भवद् पुहईए तए इन तीए पट्टिो हरिसी ॥५॥ पेच्छंताण सरूअं पुहईसरिनाहकुलगिरिमुहाण । गरुअत्तं पडिहायइ तइ कलिए कह णु लहुअत्तं ॥६॥ लोभ पसिद्धीए कए गरुअत्तं पलहुए वि प[23]यडे । भारे कह तं सि पुणो गरुअं लहुअं हु पायडसि ॥६१॥ एआए गरुअत्तं तुम्हेहिं कुम्म पयडियं एत्य । खग्गग्गतोलिआए पच्छह रे गौरवमिमीए ॥२॥
५०. Read एरिहं. सप्प सरासप्रसरा.
५१. Real 'नाउ लाउ. ५२. लड=रयं, Desin.7, 17.
५४. Read पसूहि. ५६. The Anusvara in दिन is not certain. Read पसूहि and twice भहिनं, anal compare note on 1. 47.
62. My must be taken as Nominative according to Gr. 364. The Anusvåra in 1764 is not quite certain Read खु instead of हु. पायडसि Gr.577, 491.
(२. Read गीरव.
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